कृष्णा बिष्ट

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कृष्णा बिष्ट उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा की सामाजिक कार्यकर्ता और महिला उत्थान के लिए समर्पित हैं। उन्हें वर्ष 2014 का आइएमसी लेडीज विंग जानकी देवी बजाज पुरस्कार मिला है। उन्हें मुम्बई में यह सम्मान प्रदान किया गया, जिसमें पांच लाख रुपये समेत प्रशस्ति पत्र सौंपा गया। यह पुरस्कार गाँधीवादी महिला जानकी देवी बजाज की स्मृति में दिया जाता है।

  • पर्वतीय क्षेत्र में दशकों से महिलाओं का जीवन संवारने में जुटी कृष्णा बिष्ट जनपद अल्मोड़ा के सोमेश्वर क्षेत्र के ग्राम सौन कोटुली की निवासी हैं।
  • उन्हें 22वें आईएमजी लेडीज विंग जानकी देवी बजाज पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। यह पुरस्कार ग्रामीण महिलाओं के उत्थान, जागृति व उनमें उद्यमशीलता लाने के लिए उत्कृष्ट कार्य के लिए दिया जाता है।[1]
  • उल्लेखनीय है कि बुनाई व कला दक्षता में अव्वल होते हुए भी पहाड़ की महिलाओं को उचित मंच नहीं मिल पाता है। इसी पीड़ा से कृष्णा बिष्ट के मन में कुछ करने का जज्बा पैदा हुआ, ताकि इन महिलाओं का जीवन संवारा जा सके।
  • कृष्णा बिष्ट ने 1971 में 'महिला हाट' नामक एक संस्था की शुरूआत की, जिसका 1987 में पंजीकरण हुआ। संस्था का लक्ष्य है- "गरीब महिला उत्पादकों को सुविधा देना", जिसके तहत बुनाई-कताई के उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने, कच्चा माल उपलब्ध कराना, कौशल प्रशिक्षण देना तथा अन्य समस्याओं से निजात दिलाया जाता है। तब से यह काम अनवरत जारी है। उन्होंने स्वयं सहायता समूह बनाकर महिलाओं में एकजुटता की भावना विकसित की। महिलाओं के खाते खोले और बचत की प्रेरणा जगाई। साथ ही शैक्षिक व स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता लाई गई।
  • वर्ष 2004 से उन्होंने संस्था के जरिये गरीब परिवारों की महिलाओं के बच्चों के लिए शिक्षा प्रायोजित करना शुरू कर दिया। वह सदैव इसी कार्य में रत हैं। आज सैकड़ों महिलाएं इस संस्था से जुड़ लाभ अर्जित कर रही हैं।
  • कृष्णा बिष्ट ने गुजरात विश्वविद्यालय, अहमदाबाद से हिन्दी में एम.ए. किया है।
  • वर्ष 2010 में कृष्णा बिष्ट को इसी कार्य के लिए 'इंडियन डेवलमेंट फाउंडेशन' द्वारा 'महिला सशक्तीकरण व पर्यावरण पुरस्कार' भी मिला है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अल्मोड़ा की कृष्णा को जानकीदेवी बजाज पुरस्कार (हिन्दी) jagran.com। अभिगमन तिथि: 15 जुलाई, 2018।

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