शिवप्रसाद गुप्त
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पूरा नाम | शिवप्रसाद गुप्त |
जन्म | 28 जून, 1883 |
जन्म भूमि | बनारस, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 24 अप्रैल, 1944 |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | स्वतंत्रता सेनानी व पत्रकार |
जेल यात्रा | शिवप्रसाद गुप्त अपनी राष्ट्रवादी गतिविधियों के कारण अनेक बार जेल गये। |
विद्यालय | इलाहाबाद विश्वविद्यालय |
शिक्षा | स्नातक |
अन्य जानकारी | शिवप्रसाद गुप्त 'काशी विद्यापीठ' के संस्थापक थे। इन्होंने बनारस में 'भारत माता मन्दिर' का भी निर्माण करवाया था। |
शिवप्रसाद गुप्त (अंग्रेज़ी: Shivprasad Gupta, जन्म- 28 जून, 1883, बनारस, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 24 अप्रैल, 1944) हिन्दी के समाचार पत्र 'दैनिक आज' के संस्थापक थे। देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले क्रांतिकारियों को इनका समर्थन प्राप्त था। अपनी राष्ट्रवादी गतिविधियों के लिए भी शिवप्रसाद गुप्त ने कई बार जेल की सजा काटी। ये 'काशी विद्यापीठ' के संस्थापक थे। बनारस में 'भारत माता मन्दिर' का निर्माण भी इन्होंने करवाया था।
जन्म तथा शिक्षा
शिवप्रसाद गुप्त का जन्म बनारस, उत्तर प्रदेश के एक समृद्ध वैश्य परिवार में 28 जून, 1883 को हुआ था। उन्होंने संस्कृत, फ़ारसी और हिन्दी का अध्ययन घर पर ही किया था। उन्होंने इलाहाबाद से स्नात्तक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी।
राष्ट्रवादी
पण्डित मदन मोहन मालवीय, लाला लाजपत राय, महात्मा गांधी, आचार्य नरेन्द्र देव तथा डॉ. भगवान दास से शिवप्रसाद गुप्त अत्यन्त प्रभावित थे। क्रांतिकारियों को भी इनका सहयोग प्राप्त था। वे अपनी राष्ट्रवादी गतिविधियों के कारण अनेक बार जेल भी गये।[1]
महत्त्वपूर्ण कार्य
गुप्त जी ने 'आज' नाम से एक राष्ट्रवादी दैनिक पत्र निकाला था। बाबू शिवप्रसाद गुप्त ने 'आज' द्वारा हिन्दी पत्रकारिता, हिन्दी की लेखनी और हिन्दी की वाणी को राष्ट्रीय अस्मिता से जोड़ा तथा उसे मुक्ति का सन्देशवाहक बनाया। हिन्दी में श्रेष्ठ साहित्य रचना को बल देने के लिए उन्होंने 'ज्ञानमण्डल' की स्थापना 1918 ई. में की। भारतीय अस्मिता के प्रतीक 'भारत माता मन्दिर' और 'काशी विद्यापीठ' की स्थापना द्वारा शिवप्रसाद गुप्त ने अपनी दानवीरता को ऐतिहासिक बनाया था। अंग्रेज़ी के 'दैनिक टुडे', 'मर्यादा', 'स्वार्थ' आदि पत्र पत्रिकाओं से जनमानस को उन्नत बनाने में उनकी भूमिका स्तुत्य है। मिस्र, इंग्लैण्ड, आयरलैण्ड, अमेरिका, जापान, कोरिया, चीन, सिंगापुर आदि राष्ट्रों की यात्रा करने वाले गुप्त जी स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी तथा रहनुमा थे।[2]
मृत्यु
राष्ट्रीय शिक्षा की अनूठी परिकल्पना वाले शिवप्रसाद गुप्त 1941 तक भारत की निस्वार्थ सेवा करते रहे। वर्ष 1944 में इनका निधन हो गया। हिन्दी पत्रकारिता को परिपुष्ट करने और उसे अंग्रेज़ी के समकक्ष बैठाने में इनकी तपस्या अविस्मरणीय है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ उत्तर प्रदेश के क्रांतिकारी (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 18 अगस्त, 2013।
- ↑ राष्ट्ररत्न बाबू शिवप्रसाद गुप्त (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 18 अगस्त, 2013।
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