"आदित्यशयन": अवतरणों में अंतर
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*सूर्य के पैरों से लेकर विभिन्न अंगों को हस्त से लेकर अन्य [[नक्षत्र|नक्षत्रों]] के समान मानना चाहिए। | *सूर्य के पैरों से लेकर विभिन्न अंगों को हस्त से लेकर अन्य [[नक्षत्र|नक्षत्रों]] के समान मानना चाहिए। | ||
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08:19, 21 मार्च 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- यह व्रत रविवार एवं हस्त नक्षत्र के साथ सप्तमी को या जब रविवार के साथ सप्तमी को सूर्य की संक्रान्ति हो उस दिन करना चाहिए।
- आदित्यशयन व्रत में उमा एवं शिव (सूर्य से शिव भिन्न नहीं हैं) की प्रतिमाओं की पूजा और सूर्य को नमस्कार करना चाहिए।
- सूर्य के पैरों से लेकर विभिन्न अंगों को हस्त से लेकर अन्य नक्षत्रों के समान मानना चाहिए।
- इस दिन पाँच चद्दरों एवं तकियों तथा एक गाय के साथ एक सुन्दर पलंग का दान करना चाहिए।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मत्स्यपुराण (55|2-33), पद्म पुराण (5|24-64-96)।
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