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08:55, 21 मार्च 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- यह एक मासव्रत है।
- यह चैत्र, ज्येष्ठ, आषाढ़ एवं माघ या पौष के चार मासों में करना चाहिए।
- इसमें ब्रह्मा देवता की पूजा होती है।
- इसके अन्त में वस्त्रों तथा भोजन से आच्छादित घट तथा तिल एवं हिरण्य से युक्त पात्र का दान करना चाहिए।
- इससे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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