"पुरश्चरण सप्तमी": अवतरणों में अंतर

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*लाल पुष्पों, अर्ध्य, गन्ध आदि से सूर्य प्रतिमा की पूजा की पूजा की जाती है।
*लाल पुष्पों, अर्ध्य, गन्ध आदि से सूर्य प्रतिमा की पूजा की पूजा की जाती है।
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*पुरुषचरण में पाँच तत्त्व होते हैं, यथा–[[जप]], [[पूजा]] एवं [[होम]], [[तर्पण]], [[अभिषेक]] तथा [[ब्राह्मण]] सम्मान।<ref>स्मृतिकौस्तुभ (74)।</ref>
*पुरुषचरण में पाँच तत्त्व होते हैं, यथा–[[जप]], [[पूजा]] एवं [[होम]], [[तर्पण]], [[अभिषेक]] तथा [[ब्राह्मण]] सम्मान।<ref>स्मृतिकौस्तुभ (74)।</ref>


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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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09:56, 21 मार्च 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी को जब रविवार हो और सूर्य मकर राशि में हो।
  • लाल पुष्पों, अर्ध्य, गन्ध आदि से सूर्य प्रतिमा की पूजा की पूजा की जाती है।
  • पंचगव्य पान किया जाता है।
  • यह व्रत एक वर्ष तक किया जाता है।
  • विभिन्न पुष्पों, धूप एवं नैवेद्य प्रति मास में।
  • सभी पापों के प्रभाव से मुक्ति मिल जाती है,[1]
  • पुरुषचरण में पाँच तत्त्व होते हैं, यथा–जप, पूजा एवं होम, तर्पण, अभिषेक तथा ब्राह्मण सम्मान।[2]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 805-810, स्कन्द पुराण, नागरखण्ड से उद्धरण)।
  2. स्मृतिकौस्तुभ (74)।

अन्य संबंधित लिंक

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