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10:45, 21 मार्च 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • यह व्रत नवमी पर एकभक्त रहकर करना चाहिए।
  • इस व्रत में कुमारियों को भोज कराना चाहिए।
  • स्वर्णिम घट, दो वस्त्र एवं सोने का दान करना चाहिए। एक वर्ष तक (प्रत्येक नवमी पर कुमारियों को भोज) कराना चाहिए।
  • इसके करने से प्रत्येक जीवन में सुन्दर रूप, शत्रु विजय की प्राप्ति एवं शंकर की राजधानी में पहुँच जाता है। देवता शिव या उमा या दोनों।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मत्स्यपुराण (101|27-28); कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 443); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 958, पद्मपुराण से उद्धरण), वर्षक्रियाकौमुदी (14)।

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