"आंत्र": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
 
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 13: पंक्ति 13:
#'''वृहदान्त्र या कोलन'''- यह अन्धान्त्र (सीकम) से लगी हुई उल्टे 'यू' के आकार की लगभग 1.3 मीटर लम्बी नलिका होती है। कोलन की भित्ति पर श्लेष्मिक ग्रन्थियाँ () पाई जाती हैं।  
#'''वृहदान्त्र या कोलन'''- यह अन्धान्त्र (सीकम) से लगी हुई उल्टे 'यू' के आकार की लगभग 1.3 मीटर लम्बी नलिका होती है। कोलन की भित्ति पर श्लेष्मिक ग्रन्थियाँ () पाई जाती हैं।  
#'''मलाशय या रेक्टम'''- यह 20 सेमी लम्बी बड़ी आन्त्र का अन्तिम भाग होता है। इसके अन्तिम लगभग 2.5 से 3 सेमी लम्बे भाग को गुदनाल (anal canal) कहते हैं। यह गुदा या मलद्वार (anus) के रास्ते शरीर से बाहर खुलती है। दो गुद–संकोचक पेशियाँ (anal sphincter muscles) गुदा का नियन्त्रण करती हैं।  
#'''मलाशय या रेक्टम'''- यह 20 सेमी लम्बी बड़ी आन्त्र का अन्तिम भाग होता है। इसके अन्तिम लगभग 2.5 से 3 सेमी लम्बे भाग को गुदनाल (anal canal) कहते हैं। यह गुदा या मलद्वार (anus) के रास्ते शरीर से बाहर खुलती है। दो गुद–संकोचक पेशियाँ (anal sphincter muscles) गुदा का नियन्त्रण करती हैं।  
 
{{मानव शरीर2}}


{{प्रचार}}
{{प्रचार}}
पंक्ति 23: पंक्ति 23:
|शोध=
|शोध=
}}
}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>

10:09, 17 मई 2011 के समय का अवतरण

(अंग्रेज़ी:Intestine) इस लेख में मानव शरीर से संबंधित उल्लेख है। आहारनाल का शेष भाग आन्त्र या आँत कहलाता है। इसकी लम्बाई 7.5 मीटर होती है और दो प्रमुख भागों में विभेदित रहती है- छोटी आन्त्र या बड़ी आन्त्र।

छोटी आन्त्र

यह आमाशय के पीछे व उदरगुहा के अधिकांश भाग को घेरे हुए, लगभग 6 मीटर लम्बी व 2.5 सेमी मोटी और अत्यधिक कुण्डलित नलिका होती है। इसमें आगे से पीछे की ओर तीन भाग होते हैं-

  1. ग्रहणी- यह छोटी आन्त्र का लगभग 25 समी लम्बा अपेक्षाकृत कुछ मोटा और अकुण्डलित प्रारम्भिक भाग होता है।
  2. मध्यान्त्र- छोटी आन्त्र का शेष भाग अत्यधिक कुण्डलित तथा लगभग 2.5 मीटर लम्बी मध्यान्त्र और 3.5 मीटर लम्बी शेषान्त्र में विभेदित होता है। इस भाग के चारों ओर बड़ी आन्त्र होती है।

बड़ी आन्त्र

छोटी आन्त्र की शेषान्त्र पीछे की ओर बड़ी आन्त्र में खुलती है। यह छोटी आन्त्र की अपेक्षा अधिक चौड़ी व लगभग 1.5 मीटर लम्बी तथा 6.7 सेमी मोटी होती है। यह उदरगुहा के निचले दाहिने भाग से प्रारम्भ होती है। यह गाँठदार होती है जिसमें माला के समान गाँठें होती हैं। इसके तीन भाग होते हैं-

  1. अन्धान्त्र या सीकम- यह बड़ी आन्त्र का 6-8 सेमी लम्बा थैलीवत् प्रारम्भिक भाग होता है। शेषान्त्र इस भाग के पार्श्व में खुलती है। इसके पिछले बन्द सिरे से कृमिरूप परिशेषिका जुड़ी रहती है। यह मनुष्य का निष्क्रिय अवशेषी अंग होती है।
  2. वृहदान्त्र या कोलन- यह अन्धान्त्र (सीकम) से लगी हुई उल्टे 'यू' के आकार की लगभग 1.3 मीटर लम्बी नलिका होती है। कोलन की भित्ति पर श्लेष्मिक ग्रन्थियाँ () पाई जाती हैं।
  3. मलाशय या रेक्टम- यह 20 सेमी लम्बी बड़ी आन्त्र का अन्तिम भाग होता है। इसके अन्तिम लगभग 2.5 से 3 सेमी लम्बे भाग को गुदनाल (anal canal) कहते हैं। यह गुदा या मलद्वार (anus) के रास्ते शरीर से बाहर खुलती है। दो गुद–संकोचक पेशियाँ (anal sphincter muscles) गुदा का नियन्त्रण करती हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख