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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।  
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*यह व्रत 60 संवत्सर व्रतों में 58वाँ व्रत है। <ref>कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 451), हेमाद्रि व्रतखण्ड (2, 883)।</ref>  
*यह व्रत 60 संवत्सर व्रतों में 58वाँ व्रत है।<ref>कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 451), हेमाद्रि व्रतखण्ड (2, 883)।</ref>  
*इसमें दिन में तीन बार किसी गृहस्थ एवं उसकी पत्नी को सम्मानित किया जाता है और वर्ष के अन्त में एक गाय दान दी जाती है।  
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05:27, 14 जून 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • यह व्रत 60 संवत्सर व्रतों में 58वाँ व्रत है।[1]
  • इसमें दिन में तीन बार किसी गृहस्थ एवं उसकी पत्नी को सम्मानित किया जाता है और वर्ष के अन्त में एक गाय दान दी जाती है।

 


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 451), हेमाद्रि व्रतखण्ड (2, 883)।

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