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*पुष्प एकत्र करने वाले व्यक्ति को प्रतिदिन वस्त्र से ढँककर एक ऐसे घड़े का दान करना चाहिए, जिसमें शुद्ध शीतल जल रखा गया हो।<ref>पुरुषार्थचिन्तामणि (57-58); स्मृतिकौस्तुभ (89-90)।</ref> | *पुष्प एकत्र करने वाले व्यक्ति को प्रतिदिन वस्त्र से ढँककर एक ऐसे घड़े का दान करना चाहिए, जिसमें शुद्ध शीतल जल रखा गया हो।<ref>पुरुषार्थचिन्तामणि (57-58); स्मृतिकौस्तुभ (89-90)।</ref> | ||
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13:25, 15 जून 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से यह व्रत प्रारम्भ होता है।
- यह व्रत चार मासों तक चलता है।
- पुष्प एकत्र करने वाले व्यक्ति को प्रतिदिन वस्त्र से ढँककर एक ऐसे घड़े का दान करना चाहिए, जिसमें शुद्ध शीतल जल रखा गया हो।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पुरुषार्थचिन्तामणि (57-58); स्मृतिकौस्तुभ (89-90)।
अन्य संबंधित लिंक
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