"प्रयाग तीर्थ मथुरा": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==") |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
*यहाँ तीर्थराज [[प्रयाग]] भगवद् आराधना करते हैं। यहीं पर प्रयाग के वेणीमाधव नित्य अवस्थित रहते हैं। यहाँ स्नान करने वाले अग्निष्टोम आदि का फल प्राप्त कर वैकुण्ठ धाम को प्राप्त होते हैं। | *यहाँ तीर्थराज [[प्रयाग]] भगवद् आराधना करते हैं। यहीं पर प्रयाग के वेणीमाधव नित्य अवस्थित रहते हैं। यहाँ स्नान करने वाले अग्निष्टोम आदि का फल प्राप्त कर [[वैकुण्ठ|वैकुण्ठ धाम]] को प्राप्त होते हैं। | ||
<blockquote>प्रयागनामतीर्थं तु देवानामपि दुर्ल्लभम् ।<br /> | <blockquote>प्रयागनामतीर्थं तु देवानामपि दुर्ल्लभम् ।<br /> | ||
तस्मिन् स्नातो नरो देवि ! अग्निष्टोमफलं लभेत ।।<br /></blockquote> | तस्मिन् स्नातो नरो देवि ! अग्निष्टोमफलं लभेत ।।<br /></blockquote> | ||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
यहाँ बेनी माधव व रामेश्वर महादेव की मूर्तियाँ स्थापित हैं । | यहाँ बेनी [[माधव]] व रामेश्वर महादेव की मूर्तियाँ स्थापित हैं । | ||
==वास्तु== | ==वास्तु== | ||
यहाँ बिना छतरी के दो बुर्ज मात्र ही बचे | यहाँ बिना छतरी के दो बुर्ज मात्र ही बचे हैं। इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है । | ||
{{इन्हेंभीदेखें|यमुना के घाट, मथुरा}} | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}} | {{ब्रज के दर्शनीय स्थल}} |
09:52, 23 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- यहाँ तीर्थराज प्रयाग भगवद् आराधना करते हैं। यहीं पर प्रयाग के वेणीमाधव नित्य अवस्थित रहते हैं। यहाँ स्नान करने वाले अग्निष्टोम आदि का फल प्राप्त कर वैकुण्ठ धाम को प्राप्त होते हैं।
प्रयागनामतीर्थं तु देवानामपि दुर्ल्लभम् ।
तस्मिन् स्नातो नरो देवि ! अग्निष्टोमफलं लभेत ।।
इतिहास
यहाँ बेनी माधव व रामेश्वर महादेव की मूर्तियाँ स्थापित हैं ।
वास्तु
यहाँ बिना छतरी के दो बुर्ज मात्र ही बचे हैं। इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है । इन्हें भी देखें: यमुना के घाट, मथुरा