"सर जॉन लारेन्स": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
('*एल्गिन की मृत्यु के बाद जॉन लारेन्स [[...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
(4 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 8 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
*[[ | [[चित्र:Sir John Lawrence.jpg|thumb|200px|सर जॉन लारेन्स]] | ||
*[[अफ़गानिस्तान]] के सन्दर्भ में लारेन्स ने कुशलता अकर्मण्यता या 'अहस्तक्षेप' की नीति का पालन किया और तत्कालीन शासक | *[[लॉर्ड एलगिन प्रथम]] की मृत्यु के बाद '''सर जॉन लारेन्स''' [[भारत]] का [[वायसराय]] बनकर आया। | ||
*लारेन्स के समय में [[उड़ीसा]] में [[1866]] ई. तथा [[बुन्देलखण्ड]] एवं राजपूताना में [[1868]]-[[1869]] ई. में भीषण अकाल | *भारत में इसका कार्यकाल [[1863]] ई. से [[1869]] ई. तक रहा। | ||
*इसके समय में [[भूटान]] का महत्त्वपूर्ण युद्ध हुआ था। | |||
*[[1865]] ई. में भूटानियो ने [[ब्रिटिश साम्राज्य]] पर आक्रमण कर दिया, अन्ततः दोनों पक्षों में समझौता हुआ। | |||
*[[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने भूटानियों को 5000 रु. की वार्षिक सहायता का वचन दिया और इसके बदलें में उन्हें 18 पहाड़ी दर्रों पर अधिकार मिला। | |||
*[[अफ़गानिस्तान]] के सन्दर्भ में सर जॉन लारेन्स ने कुशलता, अकर्मण्यता या 'अहस्तक्षेप' की नीति का पालन किया और तत्कालीन शासक शेरअली से दोस्ती कर ली। | |||
*प्रसंगतः उल्लेखनीय है कि, कुशल अकर्मण्यता शब्द का सर्वप्रथम उल्लेख जे.डब्ल्यू.एस. वाईली ने एक लेख में किया था। | |||
*सर जॉन लारेन्स के समय में [[उड़ीसा]] में [[1866]] ई. तथा [[बुन्देलखण्ड]] एवं [[राजपूताना]] में [[1868]]-[[1869]] ई. में भीषण [[अकाल]] पड़ा था। | |||
*लारेन्स ने सर जॉर्ज कैम्पवेल के नेतृत्व में एक 'अकाल आयोग' का गठन किया। | |||
*[[1865]] ई. में उसके द्वारा [[भारत]] व [[यूरोप]] के बीच प्रथम 'समुदी टेलीग्राफ़' सेवा शुरू की गई। | |||
{{प्रचार}} | {{प्रचार}} | ||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार= | |आधार= | ||
|प्रारम्भिक= | |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 | ||
|माध्यमिक= | |माध्यमिक= | ||
|पूर्णता= | |पूर्णता= | ||
|शोध= | |शोध= | ||
}} | }} | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | |||
{{अंग्रेज़ गवर्नर जनरल और वायसराय}} | |||
[[Category:अंग्रेज़ी शासन]] | [[Category:अंग्रेज़ी शासन]] | ||
[[Category:औपनिवेशिक काल]] | [[Category:औपनिवेशिक काल]] | ||
[[Category:इतिहास कोश]] | [[Category:इतिहास कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
05:21, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- लॉर्ड एलगिन प्रथम की मृत्यु के बाद सर जॉन लारेन्स भारत का वायसराय बनकर आया।
- भारत में इसका कार्यकाल 1863 ई. से 1869 ई. तक रहा।
- इसके समय में भूटान का महत्त्वपूर्ण युद्ध हुआ था।
- 1865 ई. में भूटानियो ने ब्रिटिश साम्राज्य पर आक्रमण कर दिया, अन्ततः दोनों पक्षों में समझौता हुआ।
- अंग्रेज़ों ने भूटानियों को 5000 रु. की वार्षिक सहायता का वचन दिया और इसके बदलें में उन्हें 18 पहाड़ी दर्रों पर अधिकार मिला।
- अफ़गानिस्तान के सन्दर्भ में सर जॉन लारेन्स ने कुशलता, अकर्मण्यता या 'अहस्तक्षेप' की नीति का पालन किया और तत्कालीन शासक शेरअली से दोस्ती कर ली।
- प्रसंगतः उल्लेखनीय है कि, कुशल अकर्मण्यता शब्द का सर्वप्रथम उल्लेख जे.डब्ल्यू.एस. वाईली ने एक लेख में किया था।
- सर जॉन लारेन्स के समय में उड़ीसा में 1866 ई. तथा बुन्देलखण्ड एवं राजपूताना में 1868-1869 ई. में भीषण अकाल पड़ा था।
- लारेन्स ने सर जॉर्ज कैम्पवेल के नेतृत्व में एक 'अकाल आयोग' का गठन किया।
- 1865 ई. में उसके द्वारा भारत व यूरोप के बीच प्रथम 'समुदी टेलीग्राफ़' सेवा शुरू की गई।
|
|
|
|
|