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*भाद्रपद शुक्ल की नवमीं को [[पार्वती]] जी की पुजा की जाती है।<ref>व्रतराज (332–337; स्कन्द से उद्धरण | *[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। | ||
*भाद्रपद शुक्ल की नवमीं को [[पार्वती]] जी की पुजा की जाती है।<ref>व्रतराज (332–337; स्कन्द से उद्धरण</ref> | |||
*यह व्रत सब के लिए, किन्तु विशेषतः, नारियों के लिए होता है। | *यह व्रत सब के लिए, किन्तु विशेषतः, नारियों के लिए होता है। | ||
*[[पश्चिम बंगाल|बंगाल]] में इसे स्त्रियाँ अवैधव्य के लिए करती हैं। | *[[पश्चिम बंगाल|बंगाल]] में इसे स्त्रियाँ अवैधव्य के लिए करती हैं। | ||
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12:36, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- भाद्रपद शुक्ल की नवमीं को पार्वती जी की पुजा की जाती है।[1]
- यह व्रत सब के लिए, किन्तु विशेषतः, नारियों के लिए होता है।
- बंगाल में इसे स्त्रियाँ अवैधव्य के लिए करती हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ व्रतराज (332–337; स्कन्द से उद्धरण
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