"सप्तसुन्दरक व्रत": अवतरणों में अंतर
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*पूजा के उपरान्त प्रत्येक के सामने दर्पण रखना चाइए। | *पूजा के उपरान्त प्रत्येक के सामने दर्पण रखना चाइए। | ||
*इससे सौन्दर्य एवं सौभाग्य की प्राप्ति तथा पाप मुक्ति होती है।<ref>हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 886-887, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण | *इससे सौन्दर्य एवं सौभाग्य की प्राप्ति तथा पाप मुक्ति होती है।<ref>हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 886-887, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण</ref> | ||
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12:46, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- सप्तसुन्दरक व्रत में पार्वती की, उसके सात नामों, यथा–कुमुदा, माधवी, गौरी, भवानी, पार्वती, उमा, एवं अम्बिका के साथ पूजा करनी चाहिए।
- सात दिनों तक सात कुमारियों लगभग 8 वर्षीय को भोजन देना को कराना चाहिए।
- 6 दिनों तक उपर्युक्त सात नामों में किसी एक का प्रयोग तथा 'कुमुदा प्रसन्न हों' ऐसा कहना चाहिए।
- सातवें दिन सातों का आहावान तथा गंध, पुष्प आदि तथा पान, सिन्दूर, नारियल आदि से सम्मान करना चाहिए।
- पूजा के उपरान्त प्रत्येक के सामने दर्पण रखना चाइए।
- इससे सौन्दर्य एवं सौभाग्य की प्राप्ति तथा पाप मुक्ति होती है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 886-887, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण
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