"विश्व व्रत": अवतरणों में अंतर

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*अन्त में दस गायों तथा दस दिशाओं की स्वर्णिम या रजत प्रतिमाओं, एक दोना तिल के साथ, दान करना चाहिए।  
*अन्त में दस गायों तथा दस दिशाओं की स्वर्णिम या रजत प्रतिमाओं, एक दोना तिल के साथ, दान करना चाहिए।  
*इससे कर्ता सम्राट हो जाता है और सभी पाप कट जाते हैं।<ref> कृत्यकल्पतरु (451); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 983, [[पद्मपुराण]] से उद्धरण); [[मत्स्य पुराण]] (101|83)</ref>  
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*एकादशी को विश्वेदेवों की पूजा करनी चाहिए।  
*एकादशी को विश्वेदेवों की पूजा करनी चाहिए।  
*कमल दलों पर उनकी प्रतिमाएँ रखी जाती हैं।  
*कमल दलों पर उनकी प्रतिमाएँ रखी जाती हैं।  
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12:51, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • प्रत्येक मास की दशमी पर एकभक्त, तिथिव्रत एक वर्ष तक रहना चाहिए।
  • अन्त में दस गायों तथा दस दिशाओं की स्वर्णिम या रजत प्रतिमाओं, एक दोना तिल के साथ, दान करना चाहिए।
  • इससे कर्ता सम्राट हो जाता है और सभी पाप कट जाते हैं।[1]
  • एकादशी को विश्वेदेवों की पूजा करनी चाहिए।
  • कमल दलों पर उनकी प्रतिमाएँ रखी जाती हैं।
  • तिथिव्रत देवता, विश्वेदेव, घृत की धार, समिधाओं, दही, दूध एवं मधु का अर्पण करना चाहिए।[2]
  • यह व्रत वैश्वानर प्रतिपदा की भाँति है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कृत्यकल्पतरु (451); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 983, पद्मपुराण से उद्धरण); मत्स्य पुराण (101|83
  2. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 1148, भविष्यपुराण से उद्धरण)।

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