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*हाथी को दान के रूप में किसी [[ब्राह्मण]] एवं उसकी पत्नी को मालाओं, आभूषणों, कुण्डलों एवं नवीन वस्त्रों के साथ देना चाहिए। | *हाथी को दान के रूप में किसी [[ब्राह्मण]] एवं उसकी पत्नी को मालाओं, आभूषणों, कुण्डलों एवं नवीन वस्त्रों के साथ देना चाहिए। | ||
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12:52, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- पंचमी को तिल की खली से हाथी की आकृति बनानी चाहिए, उसे सोने से अलंकृत करना चाहिए, उस पर अंकुश के साथ पीलवान बैठाना चाहिए; हाथी पर लाल वस्त्र रखे जाने चाहिए, उसके दाँत को किसी पीतल के पात्र में या कुण्ड में रखना चाहिए।
- हाथी को दान के रूप में किसी ब्राह्मण एवं उसकी पत्नी को मालाओं, आभूषणों, कुण्डलों एवं नवीन वस्त्रों के साथ देना चाहिए।
- ऐसा करने से कर्ता इन्द्रलोक में दीर्घ काल तक रहता है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रत0 1, 567-568, भविष्यपुराण से उद्धरण
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