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*यदि प्रतिपद विद्धा होती सभी दान [[द्वितीया]] से युक्त प्रतिपद पर होना चाहिए।<ref>कालनिर्णय (140)</ref>
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12:53, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • अग्नि पुराण[1]) कृत्यकल्पतरु[2]; हेमाद्रि[3]; कालनिर्णय[4]; पुरुषचिन्तामणि[5]; व्रतराज[6]; हेमाद्रि[7]; इन सभी ग्रन्थों में आया है कि चैत्र, कार्तिक एवं आश्विन की पहली तिथियाँ पवित्रतम हैं।[8]
  • यदि प्रतिपद विद्धा होती सभी दान द्वितीया से युक्त प्रतिपद पर होना चाहिए।[9]

 


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अग्नि पुराण (176, केवल दो व्रत
  2. कृत्यकल्पतरु (35-40
  3. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 335-365
  4. कालनिर्णय (140-149
  5. पुरुषचिन्तामणि (56-81
  6. व्रतराज (49-78
  7. हेमाद्रि(कालसार, 614, भविष्य पुराण का उद्धरण
  8. हेमाद्रि, व्रत0 350 ने भी ऐसा ही कहा है
  9. कालनिर्णय (140

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