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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक [[व्रत]] संस्कार है। | *[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक [[व्रत]] संस्कार है। | ||
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*कृत्यकल्पतरु में इसे 33वाँ षष्टिव्रत कहा गया है। | *कृत्यकल्पतरु में इसे 33वाँ षष्टिव्रत कहा गया है। | ||
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12:53, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- जो आधे मास तक उपवास करता है और अन्त में दो कपिला गायों का दान करता है, वह ब्रह्म लोक को जाता है और देवों से सम्मानित होता है।[1]; [2]; [3]
- कृत्यकल्पतरु में इसे 33वाँ षष्टिव्रत कहा गया है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मत्स्य पुराण (101|54
- ↑ कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 447
- ↑ हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 884-85, पद्म पुराण से उद्धरण
संबंधित लेख
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