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*स्वस्तिकव्रत पुरुषों तथा स्त्रियों दोनों के लिए समान होता है। | *स्वस्तिकव्रत पुरुषों तथा स्त्रियों दोनों के लिए समान होता है। | ||
*स्वस्तिकव्रत कर्णाटक में प्रचलित हैं। | *स्वस्तिकव्रत कर्णाटक में प्रचलित हैं। | ||
*पाँच [[रंग|रंगों]] में स्वस्तिक खींचकर [[विष्णु]] के समक्ष रखना चाहिए। | *पाँच [[रंग|रंगों]] में स्वस्तिक खींचकर [[विष्णु]] के समक्ष रखना चाहिए। | ||
*मन्दिर या भूमि पर [[विष्णु]] पूजा करनी चाहिए।<ref>व्रतार्क (पाण्डुलिपि, 356बी-358, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण | *मन्दिर या भूमि पर [[विष्णु]] पूजा करनी चाहिए।<ref>व्रतार्क (पाण्डुलिपि, 356बी-358, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण</ref> | ||
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12:55, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- स्वस्तिकव्रत आषाढ़ की एकादशी या पूर्णिमा से चार मासों तक किया जाता हैं।
- स्वस्तिकव्रत पुरुषों तथा स्त्रियों दोनों के लिए समान होता है।
- स्वस्तिकव्रत कर्णाटक में प्रचलित हैं।
- पाँच रंगों में स्वस्तिक खींचकर विष्णु के समक्ष रखना चाहिए।
- मन्दिर या भूमि पर विष्णु पूजा करनी चाहिए।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ व्रतार्क (पाण्डुलिपि, 356बी-358, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण
संबंधित लेख
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