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*पुनर्वसु नक्षत्र से युक्त शुक्ल पक्ष [[एकादशी]] विजया के नाम से घोषित है।<ref>हेमाद्रि (काल, 633, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)।</ref> | *पुनर्वसु नक्षत्र से युक्त शुक्ल पक्ष [[एकादशी]] विजया के नाम से घोषित है।<ref>हेमाद्रि (काल, 633, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)।</ref> | ||
13:00, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
विजय व्रत | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- विजय व्रत (बहुविकल्पी) |
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- यह नाम कई तिथियों को प्राप्त है, यथा- शुक्ल पक्ष की सप्तमी जो रविवार को पड़ती है।[1]
- विजयविधि के अंतर्गत गरुड़ पुराण[2] के अनुसार द्वादशी या एकादशी श्रवण नक्षत्र से युक्त हो तो उसे विजया कहते हैं।[3]
- एपिग्रैफिया इण्डिका, इण्डियन ऐण्टीक्वेरी, वर्षक्रियाकौमुदी[4] में आया है कि जब विजया सप्तमी में सूर्य हस्त नक्षत्र में हो तो इसे महा-महा कहते हैं।
- पुनर्वसु नक्षत्र से युक्त शुक्ल पक्ष एकादशी विजया के नाम से घोषित है।[5]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भविष्योत्तरपुराण 43|2; वर्षक्रियाकौमुदी 9; हेमाद्रि, काल, 625; पुरुषार्थचिन्तामणि 105;
- ↑ गरुड़पुराण (1|136|1-2
- ↑ कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड, 349); कृत्यरत्नाकर (287-291)।
- ↑ एपिग्रैफिया इण्डिका (3, 53-56) एवं इण्डियन ऐण्टीक्वेरी (25, पृष्ट 345); वर्षक्रियाकौमुदी (36
- ↑ हेमाद्रि (काल, 633, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)।
संबंधित लेख
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