"तलवकार आरण्यक": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति")
No edit summary
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{अस्वीकरण}}
{{seealso|जैमिनीयोपनिषद ब्राह्मण}}
{{seealso|जैमिनीयोपनिषद ब्राह्मण}}
*[[जैमिनीयोपनिषद ब्राह्मण]] की प्रसिद्ध [[आरण्यक साहित्य]] में सामवेदीय तलवकार–आरण्यक के रूप में है, यह पहले ही कहा जा चुका है।  
*[[जैमिनीयोपनिषद ब्राह्मण]] की प्रसिद्ध [[आरण्यक साहित्य]] में सामवेदीय तलवकार–आरण्यक के रूप में है।  
*यह चार अध्यायों में विभक्त है।  
*यह चार अध्यायों में विभक्त है।  
*अध्यायों का अवान्तर विभाजन अनुवाकों में है।  
*अध्यायों का अवान्तर विभाजन अनुवाकों में है।  
पंक्ति 6: पंक्ति 7:
*इस आरण्यक में मृत व्यक्तियों के पुनः प्रकट होने तथा प्रेतात्मा के द्वारा उन व्यक्तियों के मार्ग–निर्देश का उल्लेख है, जो रहस्यात्मक शक्तियों के लिए पुरोहितों अथवा साधकों के सन्धान में निरत थे।  
*इस आरण्यक में मृत व्यक्तियों के पुनः प्रकट होने तथा प्रेतात्मा के द्वारा उन व्यक्तियों के मार्ग–निर्देश का उल्लेख है, जो रहस्यात्मक शक्तियों के लिए पुरोहितों अथवा साधकों के सन्धान में निरत थे।  
*निशीथ (अर्धरात्रि) में श्मशान–साधना से सम्बद्ध उन कृत्यों का भी उल्लेख है, जो अतिमानवीय शक्ति पाने के लिए चिता–भस्म के समीप अनुष्ठेय हैं।
*निशीथ (अर्धरात्रि) में श्मशान–साधना से सम्बद्ध उन कृत्यों का भी उल्लेख है, जो अतिमानवीय शक्ति पाने के लिए चिता–भस्म के समीप अनुष्ठेय हैं।
{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति
|आधार=
|प्रारम्भिक=
|माध्यमिक=माध्यमिक1
|पूर्णता=
|शोध=
}}


==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==

12:07, 3 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण

यह लेख पौराणिक ग्रंथों अथवा मान्यताओं पर आधारित है अत: इसमें वर्णित सामग्री के वैज्ञानिक प्रमाण होने का आश्वासन नहीं दिया जा सकता। विस्तार में देखें अस्वीकरण

इन्हें भी देखें: जैमिनीयोपनिषद ब्राह्मण

  • जैमिनीयोपनिषद ब्राह्मण की प्रसिद्ध आरण्यक साहित्य में सामवेदीय तलवकार–आरण्यक के रूप में है।
  • यह चार अध्यायों में विभक्त है।
  • अध्यायों का अवान्तर विभाजन अनुवाकों में है।
  • इसका विशेष महत्त्व पुरातन भाषा, शब्दावली, वैयाकरणिक रूपों और ऐसे ऐतिहासिक तथा देवशास्त्रीय आख्यानों के कारण है, जिनमें बहुविधि प्राचीन विश्वास तथा रीतियाँ सुरक्षित हैं।
  • इस आरण्यक में मृत व्यक्तियों के पुनः प्रकट होने तथा प्रेतात्मा के द्वारा उन व्यक्तियों के मार्ग–निर्देश का उल्लेख है, जो रहस्यात्मक शक्तियों के लिए पुरोहितों अथवा साधकों के सन्धान में निरत थे।
  • निशीथ (अर्धरात्रि) में श्मशान–साधना से सम्बद्ध उन कृत्यों का भी उल्लेख है, जो अतिमानवीय शक्ति पाने के लिए चिता–भस्म के समीप अनुष्ठेय हैं।

संबंधित लेख

श्रुतियाँ