"छलितक योग कला": अवतरणों में अंतर

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[[चौंसठ कलाएँ जयमंगल के मतानुसार|जयमंगल के मतानुसार]] चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है। रूप और बोली छिपाना की कला। अनेक प्रकार के रूपों का आविर्भाव करने का ज्ञान 'कला' है। इसी कला का उपयोग [[हनुमान]] जी ने श्री[[राम|रामचन्द्र]]जी के साथ पहली बार मिलने के समय ब्राह्मण-वेश धारण करने में किया था।
[[चौंसठ कलाएँ जयमंगल के मतानुसार|जयमंगल के मतानुसार]] चौंसठ कलाओं में से यह एक [[प्रांगण:कला|कला]] है। रूप और बोली छिपाना की कला। अनेक प्रकार के रूपों का आविर्भाव करने का ज्ञान 'कला' है। इसी [[प्रांगण:कला|कला]] का उपयोग [[हनुमान]] जी ने श्री[[राम|रामचन्द्र]]जी के साथ पहली बार मिलने के समय ब्राह्मण-वेश धारण करने में किया था।


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10:21, 13 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण

जयमंगल के मतानुसार चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है। रूप और बोली छिपाना की कला। अनेक प्रकार के रूपों का आविर्भाव करने का ज्ञान 'कला' है। इसी कला का उपयोग हनुमान जी ने श्रीरामचन्द्रजी के साथ पहली बार मिलने के समय ब्राह्मण-वेश धारण करने में किया था।


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