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13:43, 13 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण

  • इस अनुवाक में 'भू:, भुव:, ' 'स्व:' और 'मह:' की व्याख्या की गयी है। 'मह:' ही ब्रह्म का स्वरूप है। वही सभी वेदांत का ज्ञान देता है।
  • एक व्याहृति के चार-चार भेद हैं।
  • ये कुल सोलह हैं जो इन्हें ठीक प्रकार से जान लेता है, वह 'ब्रह्म' को जान लेता है।
  • सभी देवगण उसके अनुकूल हो जाते हैं।


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