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  • अर्द्ध कथानक (1641 ई.) जैन कवि 'बनारसी दास' का ब्रजभाषा में पद्यबद्ध आत्मचरित है।
  • अर्द्ध कथानक में तत्कालीन परिस्थितियों का उल्लेख है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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