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[[चौंसठ कलाएँ जयमंगल के मतानुसार|जयमंगल के मतानुसार]] चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है।
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[[चौंसठ कलाएँ जयमंगल के मतानुसार|जयमंगल के मतानुसार]] चौंसठ कलाओं में से यह एक [[कला]] है।
*गीत साहित्य की एक सर्वाधिक लोकप्रिय विधा है। साधारणत: इसमें एक मुखड़ा तथा कुछ अंतरे होते हैं। प्रत्येक अंतरे के बाद मुखड़े को दोहराया जाता है। गीत को गाया भी जाता है। भारतीय सिनेमा में गीत बहुत लोकप्रिय हैं। [[लता मंगेशकर]] और [[एस॰एस॰ सुबालक्ष्मी]] के गाये गीत बहुत मधुर हैं।
*गीत साहित्य की एक सर्वाधिक लोकप्रिय विधा है। साधारणत: इसमें एक मुखड़ा तथा कुछ अंतरे होते हैं। प्रत्येक अंतरे के बाद मुखड़े को दोहराया जाता है। गीत को गाया भी जाता है। भारतीय सिनेमा में गीत बहुत लोकप्रिय हैं। [[लता मंगेशकर]] और एस.एस. सुबालक्ष्मी के गाये गीत बहुत मधुर हैं।
*लोकगीतों की परंपरा [[भारत]] में बहुत पुरानी है।  
*लोकगीतों की परंपरा [[भारत]] में बहुत पुरानी है।  
 
*भारत के प्रसिद्ध हिन्दी गीतकार [[कवि]] प्रदीप और [[गोपालदास नीरज]] के गीत बहुत गाये गये हैं।
*भारत के प्रसिद्ध हिन्दी गीतकार '[[कवि प्रदीप]]' और '[[गोपालदास नीरज]]' के गीत बहुत गाये गये हैं।
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10:03, 4 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण

लता मंगेशकर
Lata Mangeshkar

जयमंगल के मतानुसार चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है।

  • गीत साहित्य की एक सर्वाधिक लोकप्रिय विधा है। साधारणत: इसमें एक मुखड़ा तथा कुछ अंतरे होते हैं। प्रत्येक अंतरे के बाद मुखड़े को दोहराया जाता है। गीत को गाया भी जाता है। भारतीय सिनेमा में गीत बहुत लोकप्रिय हैं। लता मंगेशकर और एस.एस. सुबालक्ष्मी के गाये गीत बहुत मधुर हैं।
  • लोकगीतों की परंपरा भारत में बहुत पुरानी है।
  • भारत के प्रसिद्ध हिन्दी गीतकार कवि प्रदीप और गोपालदास नीरज के गीत बहुत गाये गये हैं।

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