"मदिरा सवैया": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
कात्या सिंह (वार्ता | योगदान) (''''मदिरा सवैया में 7 भगण (ऽ।।) + गुरु से यह छन्द''' बनता है...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
ठाढ़े हैं नौ द्रुम डार गहे, धनु काँधे धरे, कर सायक लै।<ref> [[कवितावली]], 2:13</ref> | ठाढ़े हैं नौ द्रुम डार गहे, धनु काँधे धरे, कर सायक लै।<ref> [[कवितावली]], 2:13</ref> | ||
{{लेख प्रगति|आधार= | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | {{संदर्भ ग्रंथ}} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
{{cite book | last =धीरेंद्र| first =वर्मा| title =हिंदी साहित्य कोश| edition =| publisher =| location =| language =हिंदी| pages = | {{cite book | last =धीरेंद्र| first =वर्मा| title =हिंदी साहित्य कोश| edition =| publisher =| location =| language =हिंदी| pages =741| chapter =भाग- 1 पर आधारित}} | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{छन्द}} | |||
[[Category:व्याकरण]][[Category:हिन्दी भाषा]][[Category:भाषा कोश]][[Category: | [[Category:व्याकरण]][[Category:हिन्दी भाषा]][[Category:भाषा कोश]][[Category:छन्द]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ |
14:03, 1 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
मदिरा सवैया में 7 भगण (ऽ।।) + गुरु से यह छन्द बनता है, 10, 12 वर्णों पर यति होती है।
- केशव ने इस छन्द का प्रयोग किया है-
सिन्धु तर्यो उनका बनरा,
तुम पै धनु-रेख गयी न तरी।[1]
- तुलसीदास ने भी कवितावली में इस छंद का प्रयोग किया है-
ठाढ़े हैं नौ द्रुम डार गहे, धनु काँधे धरे, कर सायक लै।[2]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
धीरेंद्र, वर्मा “भाग- 1 पर आधारित”, हिंदी साहित्य कोश (हिंदी), 741।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख