"ब्रज की रज में -शिवदीन राम जोशी": अवतरणों में अंतर
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कौन को जाय कहें ए सखी, हम चाहत है, ब्रज राज को प्यारी, | कौन को जाय कहें ए सखी, हम चाहत है, ब्रज राज को प्यारी, | ||
दर्शन देय के पीर हरो, बेपीर बनो मती, हे | दर्शन देय के पीर हरो, बेपीर बनो मती, हे बनवारी। | ||
चीर हरे वही पीर हरे, मनमानी करे, करी देख उघारी, | चीर हरे वही पीर हरे, मनमानी करे, करी देख उघारी, | ||
शिवदीन ये जोहत बाट सदा, बन के बनी है, हम श्याम | शिवदीन ये जोहत बाट सदा, बन के बनी है, हम श्याम तुम्हारी। | ||
भोली हैं बोली सखी इक साथ, वे राधे के संग करी सो करी है, | भोली हैं बोली सखी इक साथ, वे राधे के संग करी सो करी है, | ||
छलिया छल के छल किन्हों घनो,घनी पीर बढ़ी वे न पीर हरी | छलिया छल के छल किन्हों घनो, घनी पीर बढ़ी वे न पीर हरी है। | ||
छोडी गये हमको तो यहाँ, वहाँ नारी नवीन हज़ार वरी है, | छोडी गये हमको तो यहाँ, वहाँ नारी नवीन हज़ार वरी है, | ||
शिवदीन पुकार पुकार करे, यहाँ राधा अधीर न धीर धरी | शिवदीन पुकार पुकार करे, यहाँ राधा अधीर न धीर धरी है। | ||
रस को चसको बसको न सखी, हंसी कोई करो बतियां वे हमारी, | रस को चसको बसको न सखी, हंसी कोई करो बतियां वे हमारी, | ||
डर एक लग्यो लगितो ही रह्यो,होई जाऊं नहीं संग कारे के | डर एक लग्यो लगितो ही रह्यो, होई जाऊं नहीं संग कारे के कारी। | ||
रंग कारो करारो ही प्यारो लगे, हंसी के हंसती वृषभानु दुलारी, | रंग कारो करारो ही प्यारो लगे, हंसी के हंसती वृषभानु दुलारी, | ||
शिवदीन बनी वे बनी बनमें,बनते ही बनी, बनी श्याम की | शिवदीन बनी वे बनी बनमें, बनते ही बनी, बनी श्याम की प्यारी। | ||
थाकी गई यसुदा | थाकी गई यसुदा समुझा, हम बरज थकी, सब राम ही जाने, | ||
ओलमूं | ओलमूं लावत नंद को नंदन छेर करे री रह्यो नहीं छाने। | ||
ग्वालिनी ढ़ीठ वे गारी बके और सास हमारी लगे | ग्वालिनी ढ़ीठ वे गारी बके और सास हमारी लगे समुझाने, | ||
श्यामा भी हार गई शिवदीन यो श्याम हमारो तो कहनो न | श्यामा भी हार गई शिवदीन यो श्याम हमारो तो कहनो न माने। | ||
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06:44, 3 जून 2012 के समय का अवतरण
कौन को जाय कहें ए सखी, हम चाहत है, ब्रज राज को प्यारी, |
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