"समझ मन अवसर बित्यो जाय -शिवदीन राम जोशी": अवतरणों में अंतर

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समझ मन अवसर बित्यो जाय।
==शीर्षक उदाहरण 1==
मानव तन सो अवसर फिर-फिर, मिलसी कहाँ बताय।।
 
हरी गुण गाले प्रभु को पाले, अपने मन को तू समझाले।
===समझ मन अवसर बित्यो जाय===
जनम जनम का  नाता प्रभु से, रह्यो किया बिसराय ।।
 
उर अनुराग प्यार ईश्वर से, प्रेम लगाकर फिर कद करसे
====शीर्षक उदाहरण 3====
पता नहीं क्या होगा क्षण में, क्षण-क्षण राम  रिझाय।।
 
रीझ जायेंगे हैं वो दाता, वह ही तो है भाग्य विधाता।
=====शीर्षक उदाहरण 4=====
राम कृष्ण मन संत अचल का, रैन दिवस गुण  गाय।।
 
यो अवसर चूके मत बंदा, चूक्याँ मिटे न भव भय  फंदा।
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कहे  शिवदीन  हृदय  में  गंगा, चलो गंग  में न्हाय ।।
 
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समझ मन अवसर बित्यो जाय |
 
मानव तन सो अवसर फिर-फिर, मिलसी कहाँ बताय ||
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हरी गुण गाले प्रभु को पाले, अपने मन को तू समझाले |
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जनम जनम का  नाता प्रभु से, रह्यो किया बिसराय ||
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उर अनुराग प्यार ईश्वर से, प्रेम लगाकर फिर कद करसे |
पता नहीं क्या होगा क्षण में, क्षण-क्षण राम  रिझाय ||
रीझ जायेंगे हैं वो दाता, वह ही तो है भाग्य विधाता |
राम कृष्ण मन संत अचल का, रैन दिवस गुण  गाय ||
यो अवसर चूके मत बंदा, चूक्याँ मिटे न भव भय  फंदा |
कहे  शिवदीन  हृदय  में  गंगा, चलो गंग  में न्हाय || 
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
 
{{समकालीन कवि}}
[[Category:नया पन्ना 24 जून-2012]]
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14:34, 24 जून 2012 के समय का अवतरण

समझ मन अवसर बित्यो जाय।
मानव तन सो अवसर फिर-फिर, मिलसी कहाँ बताय।।
हरी गुण गाले प्रभु को पाले, अपने मन को तू समझाले।
जनम जनम का नाता प्रभु से, रह्यो किया बिसराय ।।
उर अनुराग प्यार ईश्वर से, प्रेम लगाकर फिर कद करसे ।
पता नहीं क्या होगा क्षण में, क्षण-क्षण राम रिझाय।।
रीझ जायेंगे हैं वो दाता, वह ही तो है भाग्य विधाता।
राम कृष्ण मन संत अचल का, रैन दिवस गुण गाय।।
यो अवसर चूके मत बंदा, चूक्याँ मिटे न भव भय फंदा।
कहे शिवदीन हृदय में गंगा, चलो गंग में न्हाय ।।

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