"तन धन जोबन -शिवदीन राम जोशी": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{पुनरीक्षण}}<!-- कृपया इस साँचे को हटाएँ नहीं (डिलीट न करें)। इसके नीचे से ही सम्पादन कार्य करें। -->
{{Poemopen}}
'''आपको नया पन्ना बनाने के लिए यह आधार दिया गया है'''
<poem>
 
तन धन जोबन थिर नहीं, मुरख  करे गुमान,
==शीर्षक उदाहरण 1==
ए मन नर तन पायके, कर सबका सनमान।
 
===तन धन जोबन / शिवदीन राम जोशी===
 
====शीर्षक उदाहरण 3====
 
=====शीर्षक उदाहरण 4=====
तन धन जोबन  थिर नहीं, मुरख  करे गुमान,
मन नर तन पायके, कर सबका सनमान |
कर सबका  सनमान, पावणा  है दो  दिन का,
कर सबका  सनमान, पावणा  है दो  दिन का,
राम  नाम  उर  धार, मिला है सुन्दर  मौका |
राम  नाम  उर  धार, मिला है सुन्दर  मौका। 
सबसे  बोलो  प्रिय  वचन, सत्य बात  परतीत,
सबसे  बोलो  प्रिय  वचन, सत्य बात  परतीत,
शिवदीन हार के ना चलो, चलो तो बाज़ी जीत |
शिवदीन हार के ना चलो, चलो तो बाज़ी जीत।
                     राम गुण गायरे ||    
                     राम गुण गायरे।।    
-------------------------------------
----  
तन धन जोबन पर बड़ा, कीना जिन विस्वास,
तन धन जोबन पर बड़ा, कीना जिन विस्वास,
ये सब धोखा दे चले, रहे ना कोई  पास |
ये सब धोखा दे चले, रहे ना कोई पास।  
रहे  ना  कोई  पास,धाम धन दो-दो दिन के,
रहे  ना  कोई  पास, धाम धन दो-दो दिन के,
तन जोबन ढलि गये, संगमें रह कर जिनके |
तन जोबन ढलि गये, संगमें रह कर जिनके।
फिर इन पर विस्वास क्या,राम भजो शिवदीन,
फिर इन पर विस्वास क्या, राम भजो शिवदीन,
सत संगत करि के चलो, चातुर चातुर प्रवीन |
सत संगत करि के चलो, चातुर चातुर प्रवीन।
                   राम गुण गायरे ||
                   राम गुण गायरे।।
 
</poem>
 
{{Poemclose}}
<!-- कृपया इस संदेश से ऊपर की ओर ही सम्पादन कार्य करें। ऊपर आप अपनी इच्छानुसार शीर्षक और सामग्री डाल सकते हैं -->  
 
 
{| width="100%"
<!-- यदि आप सम्पादन में नये हैं तो कृपया इस संदेश से नीचे सम्पादन कार्य न करें -->
|-
 
|
 
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
 
{{समकालीन कवि}}
[[Category:नया पन्ना 26 जून-2012]]
[[Category:कविता]][[Category:हिन्दी कविता]][[Category:काव्य कोश]][[Category:पद्य साहित्य]][[Category:साहित्य कोश]]
 
[[Category:समकालीन साहित्य]]
__INDEX__[[Category:Chhand]]
[[Category:शिवदीन राम जोशी]]
|}
__NOTOC__
__NOEDITSECTION__
__INDEX__

07:30, 27 जून 2012 के समय का अवतरण

तन धन जोबन थिर नहीं, मुरख करे गुमान,
ए मन नर तन पायके, कर सबका सनमान।
कर सबका सनमान, पावणा है दो दिन का,
राम नाम उर धार, मिला है सुन्दर मौका।
सबसे बोलो प्रिय वचन, सत्य बात परतीत,
शिवदीन हार के ना चलो, चलो तो बाज़ी जीत।
                    राम गुण गायरे।।



तन धन जोबन पर बड़ा, कीना जिन विस्वास,
ये सब धोखा दे चले, रहे ना कोई पास।
रहे ना कोई पास, धाम धन दो-दो दिन के,
तन जोबन ढलि गये, संगमें रह कर जिनके।
फिर इन पर विस्वास क्या, राम भजो शिवदीन,
सत संगत करि के चलो, चातुर चातुर प्रवीन।
                   राम गुण गायरे।।

संबंधित लेख