"वह आदमी -कुलदीप शर्मा": अवतरणों में अंतर
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नारे लगाती भीड़ में से | नारे लगाती भीड़ में से | ||
निकल गया है चुपचाप | निकल गया है चुपचाप | ||
कोख में एक | कोख में एक ख़तरा दबाए | ||
फिर लौटेगा | फिर लौटेगा | ||
एक मौलिक चीख के साथ | एक मौलिक चीख के साथ | ||
पंक्ति 66: | पंक्ति 66: | ||
कोड़ी भर गोलियों के लिए | कोड़ी भर गोलियों के लिए | ||
एक गर्व मे तनी गर्दन चाहिए | एक गर्व मे तनी गर्दन चाहिए | ||
जो | जो शान से गिर सके होली के दिऩ | ||
जहाँ घर का हर सपना असुरक्षित है | जहाँ घर का हर सपना असुरक्षित है | ||
वह आदमी कितनी देर बैठेगा घर ? | वह आदमी कितनी देर बैठेगा घर ? | ||
सपनों के लिए लड़ते आदिमयों का | सपनों के लिए लड़ते आदिमयों का शोर | ||
उसे शालीन मर्यादा से | उसे शालीन मर्यादा से | ||
बाहर खींच लाएगा | बाहर खींच लाएगा | ||
उस दिन यकीनन | उस दिन यकीनन | ||
उसकी आँख का | उसकी आँख का ख़तरा | ||
ऑंख में आ जाएगा | ऑंख में आ जाएगा | ||
और एक मौलिक चीख के साथ | और एक मौलिक चीख के साथ |
14:07, 15 जुलाई 2012 के समय का अवतरण
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