"सूफ़ी दोहे -अमीर ख़ुसरो": अवतरणों में अंतर
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जिसके कपरे रंग दिए सो धन धन वाके भाग।। | जिसके कपरे रंग दिए सो धन धन वाके भाग।। | ||
खुसरो | खुसरो बाज़ी प्रेम की मैं खेलूँ पी के संग। | ||
जीत गयी तो पिया मोरे हारी पी के संग।। | जीत गयी तो पिया मोरे हारी पी के संग।। | ||
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पूत पराए कारने जल जल कोयला होय।। | पूत पराए कारने जल जल कोयला होय।। | ||
खुसरवा दर इश्क | खुसरवा दर इश्क बाज़ी कम जि हिन्दू जन माबाश। | ||
कज़ बराए मुर्दा मा सोज़द जान-ए-खेस रा।। | कज़ बराए मुर्दा मा सोज़द जान-ए-खेस रा।। | ||
पंक्ति 74: | पंक्ति 74: | ||
खुसरो पाती प्रेम की बिरला बाँचे कोय। | खुसरो पाती प्रेम की बिरला बाँचे कोय। | ||
वेद, | वेद, क़ुरान, पोथी पढ़े, प्रेम बिना का होय।। | ||
संतों की निंदा करे, रखे पर नारी से हेत। | संतों की निंदा करे, रखे पर नारी से हेत। |
14:25, 25 अगस्त 2012 के समय का अवतरण
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रैनी चढ़ी रसूल की सो रंग मौला के हाथ। |
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