"गहन है यह अंधकार -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला": अवतरणों में अंतर
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बोलते है लोग ज्यों मुँह फेरकर | बोलते है लोग ज्यों मुँह फेरकर | ||
इस गगन में नहीं दिनकर; | इस गगन में नहीं दिनकर; | ||
नही शशधर, | नही शशधर, नहीं तारा। | ||
कल्पना का ही अपार समुद्र यह, | कल्पना का ही अपार समुद्र यह, | ||
गरजता है घेरकर तनु, रुद्र यह, | गरजता है घेरकर तनु, रुद्र यह, | ||
कुछ | कुछ नहीं आता समझ में, | ||
कहाँ है श्यामल किनारा। | कहाँ है श्यामल किनारा। | ||
12:47, 2 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण
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गहन है यह अंधकार; |
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