"सेंट केथेड्रल": अवतरणों में अंतर
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'''सेंट केथेड्रल''' [[गोवा]] के ऐतिहासिक गिरजाघरों में से एक हैं। इनमें से अनेक गिरजाघर तो [[यूनेस्को]] की [[विश्व धरोहर स्थल|विश्व धरोहर]] सूची में पंजीकृत हैं। सेंट कैथेड्रल गिरजाघर पुराने गोवा में सर्वाधिक विशाल और आकर्षक है। सन 1619 में निर्मित इस चर्च में सेंट फ्रांसिस के जीवन के प्रसंगों को विभिन्न चित्रों के माध्यम से जीवत करने का प्रयास किया गया है। | '''सेंट केथेड्रल''' [[गोवा]] के ऐतिहासिक गिरजाघरों में से एक हैं। इनमें से अनेक गिरजाघर तो [[यूनेस्को]] की [[विश्व धरोहर स्थल|विश्व धरोहर]] सूची में पंजीकृत हैं। सेंट कैथेड्रल गिरजाघर पुराने गोवा में सर्वाधिक विशाल और आकर्षक है। सन 1619 में निर्मित इस चर्च में सेंट फ्रांसिस के जीवन के प्रसंगों को विभिन्न चित्रों के माध्यम से जीवत करने का प्रयास किया गया है। | ||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
गोवा की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित धार्मिक इमारतों में से यह भव्य 16वीं शताब्दी का स्मारक है, जिसे [[पुर्तग़ाल]] शासन के दौरान रोमन केथोलिक द्वारा बनाया गया था। यह [[एशिया]] का सबसे बड़ा चर्च है। यह केथेड्रल एलेक्सेंड्रिया के सेंट केथेरिन को समर्पित है, जिनके भोज्य दिवस पर 1510 में अल्फोंसो अल्बूकर्क ने मुस्लिम सेना को पराजित किया और गोवा शहर का स्वामित्व लिया। अत: इसे सेंट केथेरिन का केथेड्रल भी कहते हैं और यह पुर्तग़ाल में बने किसी भी चर्च से बड़ा है। इस केथेड्रल को | गोवा की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित धार्मिक इमारतों में से यह भव्य 16वीं शताब्दी का स्मारक है, जिसे [[पुर्तग़ाल]] शासन के दौरान रोमन केथोलिक द्वारा बनाया गया था। यह [[एशिया]] का सबसे बड़ा चर्च है। यह केथेड्रल एलेक्सेंड्रिया के सेंट केथेरिन को समर्पित है, जिनके भोज्य दिवस पर 1510 में अल्फोंसो अल्बूकर्क ने मुस्लिम सेना को पराजित किया और गोवा शहर का स्वामित्व लिया। अत: इसे सेंट केथेरिन का केथेड्रल भी कहते हैं और यह पुर्तग़ाल में बने किसी भी चर्च से बड़ा है। इस केथेड्रल को पुर्तग़ाली वाइसराय, रिडोंडो ने पुर्तग़ाल के एक विशाल चर्च, जहां संपत्ति, शक्ति और प्रसिद्धि हो, एक ऐसे रूप में स्थापित किया था, जो [[अटलांटिक महासागर|अटलांटिक]] से [[प्रशांत महासागर]] तक [[समुद्र]] पर कब्जा कर सके। इसके विशाल मुक्त द्वार का निर्माण 1562 में राजा डोम सेबास्टियो (1557-78) और इसे 1619 में काफ़ी हद तक पूरा किया गया था। यह 1640 में इसे अर्पित किया गया था। | ||
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यह चर्च 250 फीट लंबा और 181 फीट चौड़ा है। इसका अगला हिस्सा 115 फीट ऊंचा है। यह भवन पुर्तग़ाली - गोथिक शैली में टस्कन बाह्य सज्जा तथा कोरिंथयन अंदरुनी सज्जा के साथ बनाया गया है। केथेड्रल का बाह्य हिस्सा शैली की सादगी के लिए उल्लेखनीय है, जबकि इसकी अंदरुनी सजावट अपनी सुंदर भव्यता से दर्शकों का मन मोह लेती है। केथेड्रल के स्तंभ गृह में प्रसिद्ध घंटा है जो गोवा में सबसे बड़ा तथा विश्व में एक सर्वोत्तम कृति माना जाता है, जिसे बहुधा अपनी शानदार आवाज़ के लिए ''स्वर्ण घंटी'' कहा जाता है। यहां मुख्य पूजा स्थल अलेक्सेंड्रिया के सेंट केथेरिन को समर्पित है और यहां दोनों ओर लगी तस्वीरें उनके जीवन तथा निर्माण के दृश्य प्रदर्शित करती हैं। नेव की दांईं ओर चमत्कारों का चेपल ऑफ क्रॉस बना हुआ है। [[ईसा मसीह]] की एक झलक इस विशाल, सादे क्रॉस पर 1919 में प्रकट होने का उल्लेख है। मुख्य पूजा गृह में विशाल [[सोना|सोने]] का आवरण चढ़े हुए वेदी पटल हैं। सेंट केथेरिन के जीवन के दृश्य, जिन्हें यह केथेड्रल समर्पित है, इसके 6 मुख्य पैनलों पर तराशे गए हैं। बांईं ओर के कक्ष में 1532 के दौरान बपतिस्मा के अक्षर बनाए गए हैं। सेंट फ्रांसीस जेवियर के बारे में कहा जाता है कि इसे इबारत को पढ़ कर उन्होंने हजारों गोवा वासियों का बपतिस्मा किया है।<ref>{{cite web |url=http://www.knowindia.gov.in/hindi/knowindia/culture_heritage.php?id=63 |title= सेंट केथेड्रल |accessmonthday=29 दिसम्बर |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारत की आधिकारिक वेबसाइट |language=हिंदी }}</ref> | यह चर्च 250 फीट लंबा और 181 फीट चौड़ा है। इसका अगला हिस्सा 115 फीट ऊंचा है। यह भवन पुर्तग़ाली - गोथिक शैली में टस्कन बाह्य सज्जा तथा कोरिंथयन अंदरुनी सज्जा के साथ बनाया गया है। केथेड्रल का बाह्य हिस्सा शैली की सादगी के लिए उल्लेखनीय है, जबकि इसकी अंदरुनी सजावट अपनी सुंदर भव्यता से दर्शकों का मन मोह लेती है। केथेड्रल के स्तंभ गृह में प्रसिद्ध घंटा है जो गोवा में सबसे बड़ा तथा विश्व में एक सर्वोत्तम कृति माना जाता है, जिसे बहुधा अपनी शानदार आवाज़ के लिए ''स्वर्ण घंटी'' कहा जाता है। यहां मुख्य पूजा स्थल अलेक्सेंड्रिया के सेंट केथेरिन को समर्पित है और यहां दोनों ओर लगी तस्वीरें उनके जीवन तथा निर्माण के दृश्य प्रदर्शित करती हैं। नेव की दांईं ओर चमत्कारों का चेपल ऑफ क्रॉस बना हुआ है। [[ईसा मसीह]] की एक झलक इस विशाल, सादे क्रॉस पर 1919 में प्रकट होने का उल्लेख है। मुख्य पूजा गृह में विशाल [[सोना|सोने]] का आवरण चढ़े हुए वेदी पटल हैं। सेंट केथेरिन के जीवन के दृश्य, जिन्हें यह केथेड्रल समर्पित है, इसके 6 मुख्य पैनलों पर तराशे गए हैं। बांईं ओर के कक्ष में 1532 के दौरान बपतिस्मा के अक्षर बनाए गए हैं। सेंट फ्रांसीस जेवियर के बारे में कहा जाता है कि इसे इबारत को पढ़ कर उन्होंने हजारों गोवा वासियों का बपतिस्मा किया है।<ref>{{cite web |url=http://www.knowindia.gov.in/hindi/knowindia/culture_heritage.php?id=63 |title= सेंट केथेड्रल |accessmonthday=29 दिसम्बर |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारत की आधिकारिक वेबसाइट |language=हिंदी }}</ref> |
14:34, 16 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
सेंट केथेड्रल
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विवरण | सेंट केथेड्रल गिरजाघर पुराने गोवा में सर्वाधिक विशाल और आकर्षक गिरजाघर है। | ||
राज्य | गोवा | ||
स्थापना | 1619 | ||
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 15° 30' 13.58", पूर्व- 73° 54' 44.39" | ||
मार्ग स्थिति | कैथेड्रल गिरजाघर पणजी राष्ट्रीय राजमार्ग 4A से 10.1 किमी की दूरी पर स्थित है। | ||
प्रसिद्धि | यहाँ लकड़ी पर उकेरी गई काष्ठकला और विभिन्न चित्र वाकई में दर्शनीय हैं। | ||
कैसे पहुँचें | जलयान, हवाई जहाज़, रेल, बस आदि | ||
डाबोलिम हवाई अड्डा | |||
थिविम रेलवे स्टेशन | |||
कंदोलिम बस अड्डा | |||
साइकिल-रिक्शा, ऑटो-रिक्शा, टैक्सी, सिटी बस | |||
कहाँ ठहरें | होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह | ||
एस.टी.डी. कोड | 0832 | ||
ए.टी.एम | लगभग सभी | ||
गूगल मानचित्र | |||
संबंधित लेख | संत फ़्रांसिस आसिसी गिरजाघर, अगुआड़ा दुर्ग, कोटीगाओ वन्य जीवन अभयारण्य | भाषा | कोंकणी, अंग्रेजी, हिंदी, पुर्तग़ाली और मराठी |
अन्य जानकारी | यह चर्च 250 फीट लंबा और 181 फीट चौड़ा है। इसका अगला हिस्सा 115 फीट ऊंचा है। यह भवन पुर्तग़ाली - गोथिक शैली में टस्कन बाह्य सज्जा तथा कोरिंथयन अंदरुनी सज्जा के साथ बनाया गया है। | ||
अद्यतन | 13:56, 29 दिसम्बर 2013 (IST)
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सेंट केथेड्रल गोवा के ऐतिहासिक गिरजाघरों में से एक हैं। इनमें से अनेक गिरजाघर तो यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में पंजीकृत हैं। सेंट कैथेड्रल गिरजाघर पुराने गोवा में सर्वाधिक विशाल और आकर्षक है। सन 1619 में निर्मित इस चर्च में सेंट फ्रांसिस के जीवन के प्रसंगों को विभिन्न चित्रों के माध्यम से जीवत करने का प्रयास किया गया है।
इतिहास
गोवा की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित धार्मिक इमारतों में से यह भव्य 16वीं शताब्दी का स्मारक है, जिसे पुर्तग़ाल शासन के दौरान रोमन केथोलिक द्वारा बनाया गया था। यह एशिया का सबसे बड़ा चर्च है। यह केथेड्रल एलेक्सेंड्रिया के सेंट केथेरिन को समर्पित है, जिनके भोज्य दिवस पर 1510 में अल्फोंसो अल्बूकर्क ने मुस्लिम सेना को पराजित किया और गोवा शहर का स्वामित्व लिया। अत: इसे सेंट केथेरिन का केथेड्रल भी कहते हैं और यह पुर्तग़ाल में बने किसी भी चर्च से बड़ा है। इस केथेड्रल को पुर्तग़ाली वाइसराय, रिडोंडो ने पुर्तग़ाल के एक विशाल चर्च, जहां संपत्ति, शक्ति और प्रसिद्धि हो, एक ऐसे रूप में स्थापित किया था, जो अटलांटिक से प्रशांत महासागर तक समुद्र पर कब्जा कर सके। इसके विशाल मुक्त द्वार का निर्माण 1562 में राजा डोम सेबास्टियो (1557-78) और इसे 1619 में काफ़ी हद तक पूरा किया गया था। यह 1640 में इसे अर्पित किया गया था।
वास्तुकला
यह चर्च 250 फीट लंबा और 181 फीट चौड़ा है। इसका अगला हिस्सा 115 फीट ऊंचा है। यह भवन पुर्तग़ाली - गोथिक शैली में टस्कन बाह्य सज्जा तथा कोरिंथयन अंदरुनी सज्जा के साथ बनाया गया है। केथेड्रल का बाह्य हिस्सा शैली की सादगी के लिए उल्लेखनीय है, जबकि इसकी अंदरुनी सजावट अपनी सुंदर भव्यता से दर्शकों का मन मोह लेती है। केथेड्रल के स्तंभ गृह में प्रसिद्ध घंटा है जो गोवा में सबसे बड़ा तथा विश्व में एक सर्वोत्तम कृति माना जाता है, जिसे बहुधा अपनी शानदार आवाज़ के लिए स्वर्ण घंटी कहा जाता है। यहां मुख्य पूजा स्थल अलेक्सेंड्रिया के सेंट केथेरिन को समर्पित है और यहां दोनों ओर लगी तस्वीरें उनके जीवन तथा निर्माण के दृश्य प्रदर्शित करती हैं। नेव की दांईं ओर चमत्कारों का चेपल ऑफ क्रॉस बना हुआ है। ईसा मसीह की एक झलक इस विशाल, सादे क्रॉस पर 1919 में प्रकट होने का उल्लेख है। मुख्य पूजा गृह में विशाल सोने का आवरण चढ़े हुए वेदी पटल हैं। सेंट केथेरिन के जीवन के दृश्य, जिन्हें यह केथेड्रल समर्पित है, इसके 6 मुख्य पैनलों पर तराशे गए हैं। बांईं ओर के कक्ष में 1532 के दौरान बपतिस्मा के अक्षर बनाए गए हैं। सेंट फ्रांसीस जेवियर के बारे में कहा जाता है कि इसे इबारत को पढ़ कर उन्होंने हजारों गोवा वासियों का बपतिस्मा किया है।[1]
आकर्षक पर्यटन स्थल
यहां दुनिया भर से हजारों -लाखों लोग आते हैं और इस चर्च को सभी धर्मों के लोगों द्वारा एक धार्मिक स्थल माना जाता है। यह गोवा का एक अपरिहार्य पर्यटक आकर्षण है और गोवा जाने पर सेंट केथेड्रल को देखें बिना वापस आना यात्रा को अधूरा माना जाता है। पुर्तग़ाली गोथिक शैली में बने से कैथेड्रल गिरजाघर की भव्य इमारत है। यहाँ लकड़ी पर उकेरी गई काष्ठकला और विभिन्न चित्र वाकई में दर्शनीय हैं। इस गिरजाघर का आंतरिक भाग कलात्मक संत पाँच घंटियों से सुशोभित है। इस गिरजाघर के सेंट फ्रांसिस स्मारक में उनकी ममी संरक्षित है। इसके अलावा गोवा में चर्च ऑफ सेंट मोनिका, चैपल ऑफ सैंट एंथोनी भी नायाब हैं।
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सेंट केथेड्रल (हिंदी) भारत की आधिकारिक वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 29 दिसम्बर, 2013।