"अन्नपूर्णा जयन्ती": अवतरणों में अंतर
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'''अन्नपूर्णा जयन्ती''' [[भारतीय संस्कृति]] में मान्य मुख्य जयन्तियों में से एक है। [[हिन्दू धर्म]] में इस जयन्ती का विशेष महत्त्व है। अन्नपूर्णा जयन्ती पर ख़ास तौर से घर में चूल्हे और रसोई गैस आदि का पूजन किया जाता है। यह माना जाता है कि इस दिन रसोई आदि का पूजन करने से घर में कभी भी धन धान्य की कमी नहीं रहती और [[अन्नपूर्णा देवी]] की कृपा बनी रहती है। | {{सूचना बक्सा त्योहार | ||
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'''अन्नपूर्णा जयन्ती''' [[भारतीय संस्कृति]] में मान्य मुख्य जयन्तियों में से एक है। [[हिन्दू धर्म]] में इस जयन्ती का विशेष महत्त्व है। अन्नपूर्णा जयन्ती पर ख़ास तौर से घर में [[चूल्हा|चूल्हे]] और रसोई गैस आदि का पूजन किया जाता है। यह माना जाता है कि इस दिन रसोई आदि का पूजन करने से घर में कभी भी धन धान्य की कमी नहीं रहती और [[अन्नपूर्णा देवी]] की कृपा बनी रहती है। | |||
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07:05, 24 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
अन्नपूर्णा जयन्ती
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अनुयायी | हिंदू |
प्रारम्भ | पौराणिक काल |
तिथि | मार्गशीर्ष पूर्णिमा |
धार्मिक मान्यता | अन्नपूर्णा जयन्ती पर ख़ास तौर से घर में चूल्हे और रसोई गैस आदि का पूजन किया जाता है। यह माना जाता है कि इस दिन रसोई आदि का पूजन करने से घर में कभी भी धन धान्य की कमी नहीं रहती और अन्नपूर्णा देवी की कृपा बनी रहती है। |
अन्य जानकारी | भारतीय पंचांग में मार्गशीर्ष मास का विशेष महत्त्व है। यह माह गेहूँ की बुआई के लिए अच्छा रहता है, इसलिए भी अन्नदाता माने जाने वाले किसान अच्छी फ़सल के लिए अन्नपूर्णा जयन्ती पर अन्नपूर्णा देवी की पूजा करते हैं। |
अन्नपूर्णा जयन्ती भारतीय संस्कृति में मान्य मुख्य जयन्तियों में से एक है। हिन्दू धर्म में इस जयन्ती का विशेष महत्त्व है। अन्नपूर्णा जयन्ती पर ख़ास तौर से घर में चूल्हे और रसोई गैस आदि का पूजन किया जाता है। यह माना जाता है कि इस दिन रसोई आदि का पूजन करने से घर में कभी भी धन धान्य की कमी नहीं रहती और अन्नपूर्णा देवी की कृपा बनी रहती है।
महत्त्व
रोटी, कपड़ा और मकान इंसान की अहम ज़रूरत हैं। प्राचीन काल से लेकर आज तक व्यक्ति अपने साथ-साथ दूसरों की खुशहाली की दुआ भी माँगता रहा है। ठीक इसी प्रकार सबके कल्याण की भावना के लिए अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है। भारतीय संस्कृति के पर्वों में अन्नपूर्णा जयंती का वैज्ञानिक महत्व भी है। इस त्योहार पर अन्नपूर्णा देवी को माँ गौरी का स्वरूप माना गया है। भगवान शिव के साथ उनकी भी पूजा होती है। ये पर्व जहाँ धार्मिक आस्था को बरकरार रखते हैं, वहीं ये सामाजिक व्यवस्था का भी हिस्सा है। धर्म के नाम पर होने वाले भंडारे भी अन्नपूर्णा का ही हिस्सा हैं। कभी भी अन्न आदि को व्यर्थ नहीं करना चाहिए। यही इस त्योहार का मुख्य संदेश है।
स्त्रियों की भूमिका
घर में धन धान्य का भंडार हो, लेकिन उसे स्त्री ही भली भांति व्यवस्थित कर सकती है। इसलिए इस पूजा में स्त्रियों का विशेष महत्व होता है। कई विद्वानों के अनुसार स्त्रियों को भी अन्नपूर्णा माना गया है। इसलिए स्त्रियों द्वारा ही अन्नपूर्णा के दिन गैस और चूल्हे पर चावल और मिष्ठान का भोग लगाने के साथ ही एक दीपक जलाया जाता है, जिससे घर में कभी भंडार ख़ाली न रहे। भारतीय पंचांग में मार्गशीर्ष मास का विशेष महत्त्व है। यह माह गेहूँ की बुआई के लिए अच्छा रहता है, इसलिए भी अन्नदाता माने जाने वाले किसान अच्छी फ़सल के लिए अन्नपूर्णा जयन्ती पर अन्नपूर्णा देवी की पूजा करते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
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