"पश्चिम बंगाल का यातायात": अवतरणों में अंतर

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*राज्य में 1854 में पूर्व भारतीय रेल प्रणाली क उद्घाटन हुआ था।  
*राज्य में 1854 में पूर्व भारतीय रेल प्रणाली क उद्घाटन हुआ था।  
*वर्ष 2005-06 में राज्‍य में कुल 4499.82 किलोमीटर लंबे रेलमार्ग थे।  
*वर्ष 2005-06 में राज्‍य में कुल 4499.82 किलोमीटर लंबे रेलमार्ग थे।  
*राज्‍य के प्रमुख रेलवे जंक्‍शन हैं: हावड़ा, आसनसोल, सियालदह, बंडिल, वर्दमान, [[खड़गपुर]] तथा जलपाईगुडी।
*राज्‍य के प्रमुख रेलवे जंक्‍शन हैं: हावड़ा, [[आसनसोल]], सियालदह, बंडिल, वर्दमान, [[खड़गपुर]] तथा जलपाईगुडी।
*विश्व का सबसे लम्बा रेलवे स्टेशन खड़गपुर में स्थित है, जिसकी लम्बाई 833 मी है।
*विश्व का सबसे लम्बा रेलवे स्टेशन खड़गपुर में स्थित है, जिसकी लम्बाई 833 मी है।
*वर्तमान में राज्य में दो स्थानीय रेलवे मुख्यालय हैं और यह शेष [[भारत]] से दो राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़ा हुआ है।  
*वर्तमान में राज्य में दो स्थानीय रेलवे मुख्यालय हैं और यह शेष [[भारत]] से दो राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़ा हुआ है।  
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*भाड़े पर उपलब्ध यांत्रिक यातायात में पीली मीटर-टैक्सी और ऑटो-रिक्शा हैं। कोलकाता में लगभग सभी पीली टैक्सियाँ एम्बेसैडर ही हैं। कोलकाता के अलावा अन्य शहरों में अधिकतर टाटा इंडिका या फिएट ही टैक्सी के रूप में चलती हैं। शहर के कुछ क्षेत्रों में साइकिल-रिक्शा और हाथ-चालित रिक्शा अभी भी स्थानीय छोटी दूरियों के लिए प्रचालन में हैं। अन्य शहरों की अपेक्षा यहाँ निजी वाहन काफ़ी कम हैं। ऐसा अनेक प्रकारों के लोक यातायात की अधिकता के कारण है। हालांकि शहर ने निजी वाहनों के पंजीकरण में अच्छी बड़ोत्तरी देखी है। वर्ष 2002 के आँकड़ों के अनुसार पिछले सात वर्षों में वाहनों की संख्या में 44% की बढ़त दिखी है। शहर के जनसंख्या घनत्व की अपेक्षा सड़क भूमि मात्र 6% है, जहाँ दिल्ली में यह 23% और मुंबई में 17% है। यही यातायात जाम का मुख्य कारण है। इस दिशा में कोलकाता मेट्रो रेलवे तथा बहुत से नये फ्लाई-ओवरों तथा नयी सड़कों के निर्माण ने शहर को काफ़ी राहत दी है।
*भाड़े पर उपलब्ध यांत्रिक यातायात में पीली मीटर-टैक्सी और ऑटो-रिक्शा हैं। कोलकाता में लगभग सभी पीली टैक्सियाँ एम्बेसैडर ही हैं। कोलकाता के अलावा अन्य शहरों में अधिकतर टाटा इंडिका या फिएट ही टैक्सी के रूप में चलती हैं। शहर के कुछ क्षेत्रों में साइकिल-रिक्शा और हाथ-चालित रिक्शा अभी भी स्थानीय छोटी दूरियों के लिए प्रचालन में हैं। अन्य शहरों की अपेक्षा यहाँ निजी वाहन काफ़ी कम हैं। ऐसा अनेक प्रकारों के लोक यातायात की अधिकता के कारण है। हालांकि शहर ने निजी वाहनों के पंजीकरण में अच्छी बड़ोत्तरी देखी है। वर्ष 2002 के आँकड़ों के अनुसार पिछले सात वर्षों में वाहनों की संख्या में 44% की बढ़त दिखी है। शहर के जनसंख्या घनत्व की अपेक्षा सड़क भूमि मात्र 6% है, जहाँ दिल्ली में यह 23% और मुंबई में 17% है। यही यातायात जाम का मुख्य कारण है। इस दिशा में कोलकाता मेट्रो रेलवे तथा बहुत से नये फ्लाई-ओवरों तथा नयी सड़कों के निर्माण ने शहर को काफ़ी राहत दी है।


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पश्चिम बंगाल का मानचित्र
सड़क मार्ग
  • 31 मार्च 2002 को पश्चिम बंगाल राज्‍य में सड़कों की कुल लंबाई 91,970 किलोमीटर थी जिसमें 1,898 किलोमीटर लंबे राष्‍ट्रीय राजमार्ग शामिल थे।
  • सड़कों की लंबाई इस प्रकार है :
  1. प्रांतीय राजमार्ग - 3533 किलोमीटर,
  2. लोक निर्माण विभाग सड़कें - 12565 कि.मी. और
  3. ज़िला सड़कें - 42,479 कि.मी.।
रेल मार्ग
  • राज्य में 1854 में पूर्व भारतीय रेल प्रणाली क उद्घाटन हुआ था।
  • वर्ष 2005-06 में राज्‍य में कुल 4499.82 किलोमीटर लंबे रेलमार्ग थे।
  • राज्‍य के प्रमुख रेलवे जंक्‍शन हैं: हावड़ा, आसनसोल, सियालदह, बंडिल, वर्दमान, खड़गपुर तथा जलपाईगुडी।
  • विश्व का सबसे लम्बा रेलवे स्टेशन खड़गपुर में स्थित है, जिसकी लम्बाई 833 मी है।
  • वर्तमान में राज्य में दो स्थानीय रेलवे मुख्यालय हैं और यह शेष भारत से दो राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़ा हुआ है।
हवाई मार्ग
  • कोलकाता वायुसेवा के माध्यम से बैंगलोर, मुंबई, दिल्ली, चेन्नई सहित सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
  • कोलकाता के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आधुनिक जेट विमान के पत्तन की सुविधा है। राज्य में आठ अन्य हवाई पट्टियाँ हैं।
बंदरगाह

नदियों में वाष्पचालित जलयानों द्वारा जलपरिवहान की शुरुआत पहली बार 19वीं सदी में कलकत्ता, इलाहाबाद और गुवाहाटी के बीच हुई। डेल्टा वाली नदियों ने स्थानीय नदी जल-परिवहान प्रणाली के विकास के अवसर उपलब्ध कराए। स्वतंत्रता के समय हुए विभाजन और नहरों के क्षय से नदी परिवहन प्रणाली लगभग पूरी तरह से ठप्प पड़ गई।

कोलकाता यातायात

ट्राम, कोलकाता
Tram, Kolkata
  • कोलकाता में जन यातायात कोलकाता उपनगरीय रेलवे, कोलकाता मेट्रो, ट्राम और बसों द्वारा उपलब्ध है। व्यापक उपनगरीय जाल सुदूर उपनगरीय क्षेत्रों तक फैला हुआ है। भारतीय रेल द्वारा संचालित कोलकाता मेट्रो भारत में सबसे पुरानी भूमिगत यातायात प्रणाली है। ये शहर में उत्तर से दक्षिण दिशा में हुगली नदी के समानांतर शहर की लंबाई को 16.45 कि.मी. में नापती है। यहाँ के अधिकांश लोगों द्वारा बसों को प्राथमिक तौर पर यातायात के लिए प्रयोग किया जाता है। यहाँ सरकारी एवं निजी ऑपरेटरों द्वारा बसें संचालित हैं। भारत में कोलकाता एकमात्र शहर है, जहाँ ट्राम सेवा उपलब्ध है। ट्राम सेवा कैल्कटा ट्रामवेज़ कंपनी द्वारा संचालित है। ट्राम मंद-गति चालित यातायात है, व शहर के कुछ ही क्षेत्रों में सीमित है। मानसून के समय भारी वर्षा के चलते कई बार लोक-यातायात में व्यवधान पड़ता है।
  • भाड़े पर उपलब्ध यांत्रिक यातायात में पीली मीटर-टैक्सी और ऑटो-रिक्शा हैं। कोलकाता में लगभग सभी पीली टैक्सियाँ एम्बेसैडर ही हैं। कोलकाता के अलावा अन्य शहरों में अधिकतर टाटा इंडिका या फिएट ही टैक्सी के रूप में चलती हैं। शहर के कुछ क्षेत्रों में साइकिल-रिक्शा और हाथ-चालित रिक्शा अभी भी स्थानीय छोटी दूरियों के लिए प्रचालन में हैं। अन्य शहरों की अपेक्षा यहाँ निजी वाहन काफ़ी कम हैं। ऐसा अनेक प्रकारों के लोक यातायात की अधिकता के कारण है। हालांकि शहर ने निजी वाहनों के पंजीकरण में अच्छी बड़ोत्तरी देखी है। वर्ष 2002 के आँकड़ों के अनुसार पिछले सात वर्षों में वाहनों की संख्या में 44% की बढ़त दिखी है। शहर के जनसंख्या घनत्व की अपेक्षा सड़क भूमि मात्र 6% है, जहाँ दिल्ली में यह 23% और मुंबई में 17% है। यही यातायात जाम का मुख्य कारण है। इस दिशा में कोलकाता मेट्रो रेलवे तथा बहुत से नये फ्लाई-ओवरों तथा नयी सड़कों के निर्माण ने शहर को काफ़ी राहत दी है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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