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'इसमें सिग्नेचर कर दीजिए। '
मोतीलाल ने जवाहर से पूछा, 'तुमने तोता क्यों उड़ा दिया।


नेहरू जी ने उसमें अपने दस्तखत अंग्रेज़ी में कर दिए। छात्र को पता था कि नेहरूजी आमतौर पर हिन्दी में ही हस्ताक्षर करते हैं। उसने पूछ लिया,  
बालक जवाहर ने कहा, 'पिताजी पूरे देश की जनता आज़ादी चाह रही है। तोता भी आज़ादी चाह रहा था, सो मैंने उसे आज़ाद कर दिया।'


'आप तो हिन्दी में हस्ताक्षर करते हैं। फिर मेरी कॉपी में आपने अंग्रेज़ी में किए, ऐसा क्यों?
मोतीलाल बालक जवाहर का मुंह देखते रह गये।
 
नेहरूजी मुस्कराते हुए बोले,
 
'भाई, तुमने सिग्नेचर करने को बोला था, हस्ताक्षर करने को नहीं।'
 
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आज़ादी की चाह -जवाहरलाल नेहरू
जवाहरलाल नेहरू
जवाहरलाल नेहरू
विवरण जवाहरलाल नेहरू
भाषा हिंदी
देश भारत
मूल शीर्षक प्रेरक प्रसंग
उप शीर्षक जवाहरलाल नेहरू के प्रेरक प्रसंग
संकलनकर्ता अशोक कुमार शुक्ला

बात उस समय की है जब जवाहरलाल नेहरू किशोर अवस्था के थे। पिता मोतीलाल नेहरू उन दिनों अंग्रेजों से भारत को आज़ाद कराने की मुहिम में शामिल थे। इसका असर बालक जवाहर पर भी पड़ा। मोतीलाल ने पिंजरे में तोता पाल रखा था। एक दिन जवाहर ने तोते को पिंजरे से आज़ाद कर दिया। मोतीलाल को तोता बहुत प्रिय था। उसकी देखभाल एक नौकर करता था। नौकर ने यह बात मोतीलाल को बता दी।

मोतीलाल ने जवाहर से पूछा, 'तुमने तोता क्यों उड़ा दिया।

बालक जवाहर ने कहा, 'पिताजी पूरे देश की जनता आज़ादी चाह रही है। तोता भी आज़ादी चाह रहा था, सो मैंने उसे आज़ाद कर दिया।'

मोतीलाल बालक जवाहर का मुंह देखते रह गये।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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