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'''हेमिस मठ''' या '''हेमिस गोम्पा''' [[जम्मू और कश्मीर]] राज्य में [[लेह]] के दक्षिण-पूर्व दिशा में लगभग 45 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह एक बौद्ध मठ | [[चित्र:Hemis-Monastery-Ladakh.jpg|thumb|250px|हेमिस मठ]] | ||
'''हेमिस मठ''' या '''हेमिस गोम्पा''' [[जम्मू और कश्मीर]] राज्य में [[लेह]] के दक्षिण-पूर्व दिशा में लगभग 45 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह एक बौद्ध मठ है, जो [[लद्दाख]] के सभी मठों से आकर्षक और ख़ूबसूरत है। यह मठ लगभग 12000 फुट की ऊंचाई पर [[सिन्धु नदी]] के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। | |||
*इस मठ का निर्माण 1630 ई। में स्टेग्संग रास्पा नंवाग ग्यात्सो ने करवाया था। [[1972]] में राजा सेंज नामपार ग्वालवा ने मठ का पुर्ननिर्माण करवाया। | *इस मठ का निर्माण 1630 ई। में स्टेग्संग रास्पा नंवाग ग्यात्सो ने करवाया था। [[1972]] में राजा सेंज नामपार ग्वालवा ने मठ का पुर्ननिर्माण करवाया। | ||
* | *हेमिस मठ धार्मिक विद्यालय धर्म की शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। तिब्बती स्थापत्य शैली में बना यह मठ बौद्ध जीवन और संस्कृति को प्रदर्शित करता है। | ||
*मठ के हर कोने-कोने में कुछ न कुछ विशिष्ट है और कई तीर्थ भी हैं लेकिन पूरे मठ का आकर्षण बिंदु ताँबे की धातु में ढली [[बुद्ध|भगवान बुद्ध]] की प्रतिमा है। | *मठ के हर कोने-कोने में कुछ न कुछ विशिष्ट है और कई तीर्थ भी हैं लेकिन पूरे मठ का आकर्षण बिंदु ताँबे की धातु में ढली [[बुद्ध|भगवान बुद्ध]] की प्रतिमा है। | ||
*भगवान बुद्ध, [[बौद्ध धर्म]] के संस्थापक थे जिन्होने इस धर्म की नींव रखी थी और अपने उपदेशों से जनता में शांति का संदेश फैलाया था। | *भगवान बुद्ध, [[बौद्ध धर्म]] के संस्थापक थे जिन्होने इस धर्म की नींव रखी थी और अपने उपदेशों से जनता में शांति का संदेश फैलाया था। |
08:35, 28 अगस्त 2016 के समय का अवतरण
हेमिस मठ या हेमिस गोम्पा जम्मू और कश्मीर राज्य में लेह के दक्षिण-पूर्व दिशा में लगभग 45 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह एक बौद्ध मठ है, जो लद्दाख के सभी मठों से आकर्षक और ख़ूबसूरत है। यह मठ लगभग 12000 फुट की ऊंचाई पर सिन्धु नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित है।
- इस मठ का निर्माण 1630 ई। में स्टेग्संग रास्पा नंवाग ग्यात्सो ने करवाया था। 1972 में राजा सेंज नामपार ग्वालवा ने मठ का पुर्ननिर्माण करवाया।
- हेमिस मठ धार्मिक विद्यालय धर्म की शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। तिब्बती स्थापत्य शैली में बना यह मठ बौद्ध जीवन और संस्कृति को प्रदर्शित करता है।
- मठ के हर कोने-कोने में कुछ न कुछ विशिष्ट है और कई तीर्थ भी हैं लेकिन पूरे मठ का आकर्षण बिंदु ताँबे की धातु में ढली भगवान बुद्ध की प्रतिमा है।
- भगवान बुद्ध, बौद्ध धर्म के संस्थापक थे जिन्होने इस धर्म की नींव रखी थी और अपने उपदेशों से जनता में शांति का संदेश फैलाया था।
- मठ की दीवारों पर जीवन के चक्र को दर्शाते कालचक्र को भी लगाया गया है। मठ के दो मुख्य भाग है जिन्हे दुखांग और शोंगखांग कहा जाता है।
- वर्तमान में इस मठ की देखरेख द्रुकपा संप्रदाय के लोग किया करते है, यह लोग बौद्ध धर्म के ही अनुयायी हुआ करते हैं।
- मठ में जून के आखिर में या शुरूआत जुलाई के महीने में भारी सख्ंया में लोग आते हैं और गुरू पद्मसंभव के लिए वार्षिक उत्सव का आयोजन करते हैं।
- गुरू पद्मसंभव तिब्बती बौद्ध धर्म की परिचित हस्ती हैं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमिस गोम्पा या हेमिस बौद्ध मठ ,लद्दाख (हिंदी) Sanchi। अभिगमन तिथि: अगस्त-28, 2016।