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*[[प्रयाग]] ([[इलाहाबाद]]) में तीन मंदिरों को, मतांतर से, शाक्तिपीठ माना जाता है और तीनों ही मंदिर प्रयाग शक्तिपीठ की शक्ति 'ललिता' के हैं।  
 
*ये तीन मंदिर हैं- [[अक्षयवट]] (किले) के निकट मीरापुर में और अलोपी मंदिर।
*प्रयाग शक्तिपीठ [[उत्तर प्रदेश]] के [[इलाहाबाद]] (प्राचीन नाम 'प्रयाग') में स्थित है।
*प्रयाग में सती की हस्तांगुली का निपात हुआ है था। यहाँ की शक्ति 'ललिता' तथा भैरव 'भव' हैं।  
*इलाहाबाद में इस शक्तिपीठ के स्थानों को लेकर मतान्तर हैं।
*अक्षयवट क़िले में कल्याणी- ललिता देवी मंदिर के समीप ही ललितेश्वर महादेव का भी मंदिर है।  
*यहाँ तीन मंदिरों को [[शक्तिपीठ]] माना जाता है और तीनों ही मंदिर प्रयाग शक्तिपीठ की शक्ति 'ललिता' के हैं।
*[[मत्स्यपुराण]] में वर्णित 108 शक्तिपीठों में यहाँ की देवी का नाम 'ललिता' दिया गया है।<ref>प्रयागे ललिता देवी, "नैमिषे लिंगधारिणी" ([[मत्स्यपुराण]] अध्याय 13), "प्रयागे ललितादेवी कामाक्षी गंधमादने" (श्रीमद् देवीभागवत- 7/30)</ref>
*[[प्रयाग]] में [[सती]] की हस्तांगुली का निपात हुआ था।
*इलाहाबाद-[[कानपुर]] मार्ग पर इलाहाबाद से 54 किलोमीटर भी आगे [[बौद्ध|बौद्धों]] का पावन [[तीर्थ]] तथा बौद्ध केंद्र-[[कौशांबी]] है।  
*माना जाता है कि माता की अंगुलियाँ 'अक्षयवट', 'मीरापुर' और 'अलोपी' स्थानों पर गिरी थीं।
*इस शक्तिपीठ की शक्ति 'ललिता' तथा भैरव 'भव' हैं।  
*अक्षयवट क़िले में 'कल्याणी-ललिता देवी मंदिर' के समीप ही 'ललितेश्वर महादेव' का भी मंदिर है।
*[[मत्स्यपुराण]] में वर्णित 108 शक्तिपीठों में यहाँ की देवी का नाम 'ललिता' दिया गया है।
 
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*[[इलाहाबाद]]-[[कानपुर]] मार्ग पर इलाहाबाद से 54 किलोमीटर भी आगे [[बौद्ध|बौद्धों]] का पावन [[तीर्थ]] तथा बौद्ध केंद्र-[[कौशांबी]] है।


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प्रयाग शक्तिपीठ
प्रयाग शक्तिपीठ
प्रयाग शक्तिपीठ
वर्णन इलाहाबाद स्थित 'प्रयाग शक्तिपीठ' भारतवर्ष के अज्ञात 108 एवं ज्ञात 51 पीठों में से एक है। इसका हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्त्व है।
स्थान इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
देवी-देवता शक्ति 'ललिता' तथा भैरव 'भव'।
संबंधित लेख शक्तिपीठ, सती
पौराणिक मान्यता मान्यतानुसार यह माना जाता है कि इस स्थान पर देवी सती की 'हस्तांगुली' का निपात हुआ था।
अन्य जानकारी इस शक्तिपीठ के स्थानों को लेकर मतभेद हैं। 'अक्षयवट', 'मीरापुर' और 'अलोपी' तीनों स्थानों पर सती की अंगुलियों को गिरा माना जाता है।

प्रयाग शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है।

  • प्रयाग शक्तिपीठ उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (प्राचीन नाम 'प्रयाग') में स्थित है।
  • इलाहाबाद में इस शक्तिपीठ के स्थानों को लेकर मतान्तर हैं।
  • यहाँ तीन मंदिरों को शक्तिपीठ माना जाता है और तीनों ही मंदिर प्रयाग शक्तिपीठ की शक्ति 'ललिता' के हैं।
  • प्रयाग में सती की हस्तांगुली का निपात हुआ था।
  • माना जाता है कि माता की अंगुलियाँ 'अक्षयवट', 'मीरापुर' और 'अलोपी' स्थानों पर गिरी थीं।
  • इस शक्तिपीठ की शक्ति 'ललिता' तथा भैरव 'भव' हैं।
  • अक्षयवट क़िले में 'कल्याणी-ललिता देवी मंदिर' के समीप ही 'ललितेश्वर महादेव' का भी मंदिर है।
  • मत्स्यपुराण में वर्णित 108 शक्तिपीठों में यहाँ की देवी का नाम 'ललिता' दिया गया है।

प्रयागे ललिता देवी, "नैमिषे लिंगधारिणी[1]

प्रयागे ललितादेवी कामाक्षी गंधमादने[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मत्स्यपुराण अध्याय 13
  2. श्रीमद् देवीभागवत- 7/30

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख