"बालेश्वरनाथ मंदिर": अवतरणों में अंतर

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[[उत्तर प्रदेश]] के [[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़]] जनपद में भगवान [[शिव]] को समर्पित त्रेतायुगी बाबा बालेश्वरनाथ मंदिर, जो देवघाट के समीप मोहनगंज में स्थित है।  
[[चित्र:Baleshwarnath.jpg|250px|thumb|right|बालेश्वरनाथ मंदिर]]
'''बालेश्वरनाथ मंदिर''' [[उत्तर प्रदेश]] के [[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़]] जनपद में भगवान [[शिव]] को समर्पित मंदिर, जो देवघाट के समीप मोहनगंज में स्थित है।
==पौराणिक कथा==
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श्रृंगवेरपुर फिर तब निकरानु "
जो को बाल्मीकि रामायण में 2/49/12 पर वर्णित है।


[[भरत]] द्वारा [[सई नदी]] में [[स्नान]] के बाद जब उन्हें [[पूजा]] करने के लिए कोई [[शिवलिंग]] नहीं दिखा तब उन्होंने सई नदी से एक कमंडल जल भरा तथा दूसरे हाथ में [[बालू]] उठाया जिसको की उन्होंने एक भीटे पर रखा जिससे "बाबा बालेश्वर नाथ " की स्थापना हुई।




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10:58, 11 नवम्बर 2016 के समय का अवतरण

बालेश्वरनाथ मंदिर

बालेश्वरनाथ मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद में भगवान शिव को समर्पित मंदिर, जो देवघाट के समीप मोहनगंज में स्थित है।

पौराणिक कथा

जब श्री रामचंद्र को चौदह वर्ष को वनवास मिला था। उस समय में इस पौराणिक शिवलिंग की स्थापना की गयी जो कि स्वयं भरत द्वारा की गयी। जिसका वर्णन रामायण में इस चौपाई द्वारा वर्णित है।

"सई तीर बस चलू भियानु
श्रृंगवेरपुर फिर तब निकरानु"[1]

भरत द्वारा सई नदी में स्नान के बाद जब उन्हें पूजा करने के लिए कोई शिवलिंग नहीं दिखा तब उन्होंने सई नदी से एक कमंडल जल भरा तथा दूसरे हाथ में बालू उठाया जिसे उन्होंने एक भीटे पर रखा और इस प्रकार "बाबा बालेश्वर नाथ" की स्थापना हुई।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. वाल्मीकि रामायण में 2/49/12

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख