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'''गंग नहर''' की शुरुआत [[वर्ष]] 1850 में हुई थी। [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने पश्चिमी [[उत्तर प्रदेश]] को [[अकाल]] और सूखे से बचाने के लिए एक नहर परियोजना की शुरूआत की थी, इसे आजकल गंग नहर के नाम से जाना जाता है।
'''गंग नहर''' प्रमुख सिंचाई परियोजनाओं में से एक है। [[बीकानेर]] के महाराजा गंगासिंह के प्रयासों से गंग नहर के निर्माण द्वारा [[सतलुज नदी]] का पानी [[राजस्थान]] में लाने हेतु [[4 दिसम्बर]], [[1920]] को बीकानेर, भावलपुर और [[पंजाब]] राज्यों के बीच सतलुज नदी घाटी समझौता हुआ था।
*गंग नहर की आधारशिला फ़िरोज़पुर हैडबाक्स पर [[5 सितम्बर]], [[1921]] को महाराजा गंगासिंह द्वारा रखी गई।
*[[26 अक्टूबर]], [[1927]] को तत्कालीन [[लॉर्ड इरविन|वायसराय लॉर्ड इरविन]] ने श्रीगंगानगर के शिवपुर हैडबाॅक्स पर इस नहर का उद्घाटन किया।
*यह नहर सतलुज नदी से [[पंजाब]] के [[फ़िरोज़पुर]] के हुसैनीवाला से निकाली गई है। श्रीगंगानगर के संखा गांव से यह [[राजस्थान]] में प्रवेश करती है।
*नहर शिवपुर, श्रीगंगानगर, जोरावरपुर, पदमपुर, रायसिंह नगर, स्वरूपशहर से होती हुई अनूपगढ़ तक जाती है।
*मुख्य नहर की लम्बाई 129 कि.मी. (112 कि.मी. पंजाब + 17 कि.मी. राजस्थान) है। फ़िरोज़पुर से शिवपुर हैड तक है। नहर की वितरिकाओं की लम्बाई 1280 कि.मी. है।
*लक्ष्मीनारायण जी, लालगढ़, करणीजी, समीक्षा नहर की मुख्य शाखा है।
*नहर में पानी के नियमित बहाव और नहर के मरम्मत के समय इसे गंग नहर लिंक से जोड़ा गया है। यह लिंक नहर व [[हरियाणा]] में लोहागढ़ से निकाली गई है और श्रीगंगानगर के साधुवाली गांव में गंग नहर से जोड़ा गया है।<ref>{{cite web |url=http://rajasthangyan.com/notes_explain.jsp?tid=0&nid=12 |title=राजस्थान की सिंचाई परियोजनाएँ |accessmonthday=08 जनवरी |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=/rajasthangyan.com |language= हिंदी}}</ref>
*[[31 मई]], [[2000]] को केन्द्रीय जल आयोग ने नहर के रख-रखाव व मरम्मत हेतु आर्थिक सहायता प्रदान की थी।


*यह नहर [[हरिद्वार]] से निकलकर रुड़की, [[मुज़फ्फरनगर ज़िला|मुज़फ्फरनगर]], [[मेरठ]], [[गाज़ियाबाद]], [[बुलंदशहर]] होते हुए [[कानपुर]] तक चली जाती है।
*रुड़की में गंग नहर के रास्ते में सोलानी नदी आती है। इस नदी पर पुल बनाना जरूरी था, ताकि इसके ऊपर से गंग नहर का पानी गुजर सके। यह पुल कोई छोटा-मोटा नहीं बनना था।
*पुल के निर्माण के लिए कुछ लक्कड़ों से काम नहीं चलने वाला था। इसके लिए जितने भी [[कच्चा माल|कच्चे माल]] की जरूरत पड़ी, वो पिरान कलियर से आता था। पिरान कलियर रुड़की से लगभग दस किलोमीटर दूर एक [[ग्राम]] है।<ref>{{cite web |url= http://www.merapahadforum.com/uttarakhand-at-a-glance/who-where-why-in-uttarakhand/265/?wap2|title= रुड़की में चली थी भारत की पहली रेल|accessmonthday= 24 जनवरी|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= merapahadforum.com|language= हिन्दी}}</ref>
*वह रेल जिसके माध्यम से पुल निर्माण की सामग्री ढोई जानी थी, वह लकड़ी की थी। यह रेल [[22 दिसम्बर]], 1851 ई. को शुरू हुई थी। इसमे केवल दो डिब्बे थे, जो पुल निर्माण की सामग्री ढोते थे। जब [[दिल्ली]] से [[हरिद्वार]] जाते हैं तो रुड़की पार करके सोलानी नदी आती है। सड़क वाले पुल से बाएं देखने पर एक और जबरदस्त आकार वाला पुल दिखाई देता है। यही वह ऐतिहासिक पुल है। इसी से पश्चिमी [[उत्तर प्रदेश]] को खुशहाल बनाने वाली गंग नहर बहती है।


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07:48, 10 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

गंग नहर प्रमुख सिंचाई परियोजनाओं में से एक है। बीकानेर के महाराजा गंगासिंह के प्रयासों से गंग नहर के निर्माण द्वारा सतलुज नदी का पानी राजस्थान में लाने हेतु 4 दिसम्बर, 1920 को बीकानेर, भावलपुर और पंजाब राज्यों के बीच सतलुज नदी घाटी समझौता हुआ था।

  • गंग नहर की आधारशिला फ़िरोज़पुर हैडबाक्स पर 5 सितम्बर, 1921 को महाराजा गंगासिंह द्वारा रखी गई।
  • 26 अक्टूबर, 1927 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने श्रीगंगानगर के शिवपुर हैडबाॅक्स पर इस नहर का उद्घाटन किया।
  • यह नहर सतलुज नदी से पंजाब के फ़िरोज़पुर के हुसैनीवाला से निकाली गई है। श्रीगंगानगर के संखा गांव से यह राजस्थान में प्रवेश करती है।
  • नहर शिवपुर, श्रीगंगानगर, जोरावरपुर, पदमपुर, रायसिंह नगर, स्वरूपशहर से होती हुई अनूपगढ़ तक जाती है।
  • मुख्य नहर की लम्बाई 129 कि.मी. (112 कि.मी. पंजाब + 17 कि.मी. राजस्थान) है। फ़िरोज़पुर से शिवपुर हैड तक है। नहर की वितरिकाओं की लम्बाई 1280 कि.मी. है।
  • लक्ष्मीनारायण जी, लालगढ़, करणीजी, समीक्षा नहर की मुख्य शाखा है।
  • नहर में पानी के नियमित बहाव और नहर के मरम्मत के समय इसे गंग नहर लिंक से जोड़ा गया है। यह लिंक नहर व हरियाणा में लोहागढ़ से निकाली गई है और श्रीगंगानगर के साधुवाली गांव में गंग नहर से जोड़ा गया है।[1]
  • 31 मई, 2000 को केन्द्रीय जल आयोग ने नहर के रख-रखाव व मरम्मत हेतु आर्थिक सहायता प्रदान की थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. राजस्थान की सिंचाई परियोजनाएँ (हिंदी) /rajasthangyan.com। अभिगमन तिथि: 08 जनवरी, 2017।

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