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ब्रिटिश काल में चित्रकला के विकास में कुछ मंदी आ गयी। इसके बाद [[भारत]] के नवजागरण से प्रभावित | ब्रिटिश काल में [[चित्रकला]] के विकास में कुछ मंदी आ गयी। इसके बाद [[भारत]] के नवजागरण से प्रभावित चित्रकला का नया रूप सामने आया। इसके मुख्य प्रवर्तक रहे हैं- [[राजा रवि वर्मा]], [[अवनीन्द्रनाथ ठाकुर]], [[नंदलाल बोस]], [[रवीन्द्रनाथ ठाकुर]], यामिनी राय, असित हालदार, [[अमृता शेरगिल]] आदि ने धीरे-धीरे इस कला को पुन: प्रगति की लीक पर लाने का प्रयास किया। इस [[युग]] से कला [[राजपूताना]] या कांगड़ा शैली के नख-शिख चित्रण से हटकर [[रंग]] और रेखाओं के माध्यम से भावनाओं को व्यक्त करने की ओर अभिमुख हुई और आज के भारतीय चित्रकारों की कृतियाँ इस प्रयोगवादी शैली से प्रभावित हैं। तत्पश्चात् गगनेंद्रनाथ टैगोर, [[अमृता शेरगिल]], नंदलाल बोस, [[जैमिनी राय]] तथा रवीन्द्रनाथ टैगोर आदि कलाकारों ने भारतीय चित्रकला को नये आयाम प्रदान किये। वर्तमान युग में [[मक़बूल फिदा हुसैन]], चित्रकला के प्रमुख उन्नायक रहे। | ||
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07:42, 23 जून 2017 के समय का अवतरण
चित्र बनाने वाला चित्रकार कहलाता है।
चित्रकला का विकास
ब्रिटिश काल में चित्रकला के विकास में कुछ मंदी आ गयी। इसके बाद भारत के नवजागरण से प्रभावित चित्रकला का नया रूप सामने आया। इसके मुख्य प्रवर्तक रहे हैं- राजा रवि वर्मा, अवनीन्द्रनाथ ठाकुर, नंदलाल बोस, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, यामिनी राय, असित हालदार, अमृता शेरगिल आदि ने धीरे-धीरे इस कला को पुन: प्रगति की लीक पर लाने का प्रयास किया। इस युग से कला राजपूताना या कांगड़ा शैली के नख-शिख चित्रण से हटकर रंग और रेखाओं के माध्यम से भावनाओं को व्यक्त करने की ओर अभिमुख हुई और आज के भारतीय चित्रकारों की कृतियाँ इस प्रयोगवादी शैली से प्रभावित हैं। तत्पश्चात् गगनेंद्रनाथ टैगोर, अमृता शेरगिल, नंदलाल बोस, जैमिनी राय तथा रवीन्द्रनाथ टैगोर आदि कलाकारों ने भारतीय चित्रकला को नये आयाम प्रदान किये। वर्तमान युग में मक़बूल फिदा हुसैन, चित्रकला के प्रमुख उन्नायक रहे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख