"कैसे निबहै निबल जन -रहीम": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
('<div class="bgrahimdv"> कैसे निबहै निबल जन, करि सबलन सों बैर ।<br /> ‘र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - "कमजोर" to "कमज़ोर") |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
;अर्थ | ;अर्थ | ||
सहजोर के साथ बैर बिसाहने से | सहजोर के साथ बैर बिसाहने से कमज़ोर का कैसे निबाह होगा ? सबल दबोच लेगा निर्बल को। [[समुद्र]] के किनारे रहकर यह तो मगर से बैर बाँधना हुआ । | ||
{{लेख क्रम3| पिछला=काह कामरी पामड़ी -रहीम|मुख्य शीर्षक=रहीम के दोहे |अगला=कोउ रहीम जहिं काहुके -रहीम}} | {{लेख क्रम3| पिछला=काह कामरी पामड़ी -रहीम|मुख्य शीर्षक=रहीम के दोहे |अगला=कोउ रहीम जहिं काहुके -रहीम}} |
11:36, 5 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
कैसे निबहै निबल जन, करि सबलन सों बैर ।
‘रहिमन’ बसि सागर विषे, करत मगर सों बैर ॥
- अर्थ
सहजोर के साथ बैर बिसाहने से कमज़ोर का कैसे निबाह होगा ? सबल दबोच लेगा निर्बल को। समुद्र के किनारे रहकर यह तो मगर से बैर बाँधना हुआ ।
रहीम के दोहे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख