"आतंक -कुलदीप शर्मा": अवतरणों में अंतर
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कितनी हैं ? | कितनी हैं ? | ||
देखे कि जहाँ उन्हें | देखे कि जहाँ उन्हें | ||
रौंदे जाने का | रौंदे जाने का ख़तरा सबसे ज़्यादा है | ||
वहीं सबसे ज़्यादा खिले हैं फूल | वहीं सबसे ज़्यादा खिले हैं फूल | ||
फूल मुस्करा रहे हैं जनपथ पर भी | फूल मुस्करा रहे हैं जनपथ पर भी | ||
पंक्ति 101: | पंक्ति 101: | ||
यह भी सच है | यह भी सच है | ||
कि जिन हाथों में बन्दूक है इस समय | कि जिन हाथों में बन्दूक है इस समय | ||
उन्होंने भी मोहलत ले रखी है बन्दूक से | |||
वे भी डरे हुए हैं बन्दूक से | वे भी डरे हुए हैं बन्दूक से | ||
जिन्होंने समय को टाँग रखा है | जिन्होंने समय को टाँग रखा है | ||
बन्दूक की नोक पर | बन्दूक की नोक पर | ||
वे समय की नोक पर टंगे | वे समय की नोक पर टंगे | ||
पूरी | पूरी दुनिया में तलाश रहे हैं | ||
वह सकून भरा कोना | वह सकून भरा कोना | ||
जिसे हमारे बुजुर्गों ने | जिसे हमारे बुजुर्गों ने |
11:49, 3 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
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