"हे दयालु ले शरण में -शिवदीन राम जोशी": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replacement - " दुनियां " to " दुनिया ")
 
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{पुनरीक्षण}}<!-- कृपया इस साँचे को हटाएँ नहीं (डिलीट न करें)। इसके नीचे से ही सम्पादन कार्य करें। -->
{{Poemopen}}
'''आपको नया न्ना बनाने के लिए यह आधार दिया गया है'''
<poem>
 
  हे दयालू ! ले शरण में, मोहे क्यों बिसारयो।
==शीर्षक उदाहरण 1==
 
===हे दयालु ले शरण मेँ=शिवदीन राम जोशी===
 
====शीर्षक उदाहरण 3====
 
=====शीर्षक उदाहरण 4=====
  हे दयालू ! ले शरण में, मोहे क्यो बिसारयो ।
  जुठे बेर सबरी के, पाय काज सारयो ।। हे दयालू ...
  जुठे बेर सबरी के, पाय काज सारयो ।। हे दयालू ...
  द्रोपदी की रखि लाज, कोरव दल गयो भाज।
  द्रोपदी की रखि लाज, कोरव दल गयो भाज।
  पांडवों की कर सहाय, अरजुन को उबारयो ।।हे...
  पांडवों की कर सहाय, अरजुन को उबारयो ।। हे...
  रक्षक हो भक्तन का, किया संग संतन का ।
  रक्षक हो भक्तन का, किया संग संतन का ।
  तारन हेतु मुझको, तुम संत रूप धारयो ।। हे...
  तारन हेतु मुझको, तुम संत रूप धारयो ।। हे...
  नरसी का भरा भात, विप्रन के श्रीकृष्ण नाथ ।
  नरसी का भरा भात, विप्रन के श्रीकृष्ण नाथ ।
  दुष्टन को गर्व गार, रावण को मारयो ।।हे दयालू ..
  दुष्टन को गर्व गार, रावण को मारयो ।। हे दयालू ..
  शिवदीन हाथ जोडे, दुनियां से मुख: मोडे ।
  शिवदीन हाथ जोडे, दुनिया से मुख: मोडे ।
  ध्रुव को ध्रुव लोक अमर, भक्त जानि तारयो ।। हे...       
  ध्रुव को ध्रुव लोक अमर, भक्त जानि तारयो ।। हे...       
<poem>
</poem>
<!-- कृपया इस संदेश से ऊपर की ओर ही सम्पादन कार्य करें। ऊपर आप अपनी इच्छानुसार शीर्षक और सामग्री डाल सकते हैं -->
{{Poemclose}}
 
 
<!-- यदि आप सम्पादन में नये हैं तो कृपया इस संदेश से नीचे सम्पादन कार्य न करें -->
{| width="100%"
 
|-
 
|
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
 
{{समकालीन कवि}}
[[Category:नया पन्ना 02 जून -2012]]
[[Category:कविता]][[Category:हिन्दी कविता]][[Category:काव्य कोश]][[Category:पद्य साहित्य]][[Category:साहित्य कोश]]
 
[[Category:समकालीन साहित्य]]
[[Category:शिवदीन राम जोशी]]
|}
__NOTOC__
__NOEDITSECTION__
__INDEX__
__INDEX__
[[Category:pada ]]

11:49, 3 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

 हे दयालू ! ले शरण में, मोहे क्यों बिसारयो।
 जुठे बेर सबरी के, पाय काज सारयो ।। हे दयालू ...
 द्रोपदी की रखि लाज, कोरव दल गयो भाज।
 पांडवों की कर सहाय, अरजुन को उबारयो ।। हे...
 रक्षक हो भक्तन का, किया संग संतन का ।
 तारन हेतु मुझको, तुम संत रूप धारयो ।। हे...
 नरसी का भरा भात, विप्रन के श्रीकृष्ण नाथ ।
 दुष्टन को गर्व गार, रावण को मारयो ।। हे दयालू ..
 शिवदीन हाथ जोडे, दुनिया से मुख: मोडे ।
 ध्रुव को ध्रुव लोक अमर, भक्त जानि तारयो ।। हे...

संबंधित लेख