"तैत्तिरीयोपनिषद ब्रह्मानन्दवल्ली अनुवाक-7": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replace - "==संबंधित लेख==" to "==संबंधित लेख== {{तैत्तिरीयोपनिषद}}")
छो (Text replacement - "अर्थात " to "अर्थात् ")
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*[[तैत्तिरीयोपनिषद]] के [[तैत्तिरीयोपनिषद ब्रह्मानन्दवल्ली|ब्रह्मानन्दवल्ली]] का यह सातवाँ अनुवाक है।
*[[तैत्तिरीयोपनिषद]] के [[तैत्तिरीयोपनिषद ब्रह्मानन्दवल्ली|ब्रह्मानन्दवल्ली]] का यह सातवाँ अनुवाक है।
{{main|तैत्तिरीयोपनिषद}}
{{main|तैत्तिरीयोपनिषद}}
*इस अनुवाक में सृष्टि के रचयिता परब्रह्म से 'सृकृत,' अर्थात पुण्य-स्वरूप कहा गया है।  
*इस अनुवाक में सृष्टि के रचयिता परब्रह्म से 'सृकृत,' अर्थात् पुण्य-स्वरूप कहा गया है।  
*प्रारम्भ में वह अव्यक्त ही था, परन्तु बाद में उसने अपनी इच्छा से स्वयं को जगत-रूप में उत्पन्न किया। वही 'जगत-रस' अर्थात आनन्द है।  
*प्रारम्भ में वह अव्यक्त ही था, परन्तु बाद में उसने अपनी इच्छा से स्वयं को जगत-रूप में उत्पन्न किया। वही 'जगत-रस' अर्थात् आनन्द है।  
*उसी के कारण जीवन है और समस्त चेष्टाएं हैं।  
*उसी के कारण जीवन है और समस्त चेष्टाएं हैं।  
*जब तक जीवात्मा, परमात्मा से अलग रहता है, तभी तक वह दुखी रहता है।
*जब तक जीवात्मा, परमात्मा से अलग रहता है, तभी तक वह दुखी रहता है।
पंक्ति 17: पंक्ति 17:
[[Category:तैत्तिरीयोपनिषद]]
[[Category:तैत्तिरीयोपनिषद]]
[[Category:दर्शन कोश]]
[[Category:दर्शन कोश]]
[[Category:उपनिषद]]  
[[Category:उपनिषद]][[Category:संस्कृत साहित्य]]  


__INDEX__
__INDEX__

07:54, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

  • इस अनुवाक में सृष्टि के रचयिता परब्रह्म से 'सृकृत,' अर्थात् पुण्य-स्वरूप कहा गया है।
  • प्रारम्भ में वह अव्यक्त ही था, परन्तु बाद में उसने अपनी इच्छा से स्वयं को जगत-रूप में उत्पन्न किया। वही 'जगत-रस' अर्थात् आनन्द है।
  • उसी के कारण जीवन है और समस्त चेष्टाएं हैं।
  • जब तक जीवात्मा, परमात्मा से अलग रहता है, तभी तक वह दुखी रहता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

तैत्तिरीयोपनिषद ब्रह्मानन्दवल्ली

अनुवाक-1 | अनुवाक-2 | अनुवाक-3 | अनुवाक-4 | अनुवाक-5 | अनुवाक-6 | अनुवाक-7 | अनुवाक-8 | अनुवाक-9

तैत्तिरीयोपनिषद भृगुवल्ली

अनुवाक-1 | अनुवाक-2 | अनुवाक-3 | अनुवाक-4 | अनुवाक-5 | अनुवाक-6 | अनुवाक-7 | अनुवाक-8 | अनुवाक-9 | अनुवाक-10

तैत्तिरीयोपनिषद शिक्षावल्ली

अनुवाक-1 | अनुवाक-2 | अनुवाक-3 | अनुवाक-4 | अनुवाक-5 | अनुवाक-6 | अनुवाक-7 | अनुवाक-8 | अनुवाक-9 | अनुवाक-10 | अनुवाक-11 | अनुवाक-12