"निठारी -कुलदीप शर्मा": अवतरणों में अंतर
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अब नहीं है समय | अब नहीं है समय | ||
कि ज़ुर्म पर की जाए टिप्पणी | कि ज़ुर्म पर की जाए टिप्पणी | ||
कि पाप पर | कि पाप पर शुरू हो कोई बहस | ||
बहुत बहस हो रही है पहले से ही | बहुत बहस हो रही है पहले से ही | ||
और | और क़ानून की किसी उपधारा के तहत | ||
बेनेफिट ऑफ डाउट देने के लिए | बेनेफिट ऑफ डाउट देने के लिए | ||
टटोली जा रही हैं किताबें | टटोली जा रही हैं किताबें | ||
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जिस पर फिंगर प्रिंट हों उनके बच्चों के | जिस पर फिंगर प्रिंट हों उनके बच्चों के | ||
क्या कहा उन्होंने किसी कोर्ट से | क्या कहा उन्होंने किसी कोर्ट से | ||
किसी भी बेगुनाह को चढ़ा दो | किसी भी बेगुनाह को चढ़ा दो फाँसी | ||
उन्होंने कुछ कहा ही नहीं क़ानून के बारे में | |||
वे तो लौट गए हैं घरों को | वे तो लौट गए हैं घरों को | ||
भाग्य पर बिसूरने के लिए | भाग्य पर बिसूरने के लिए | ||
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हर बहस से अलग | हर बहस से अलग | ||
वे आंसुओं के उस सैलाब में हैं | वे आंसुओं के उस सैलाब में हैं | ||
जहां | जहां क़ानून की हर धारा | ||
खो बैठती है अपनी भाषा़ | खो बैठती है अपनी भाषा़ | ||
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{{समकालीन कवि}} | {{समकालीन कवि}} | ||
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10:42, 2 जनवरी 2018 के समय का अवतरण
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