"घर -कुलदीप शर्मा": अवतरणों में अंतर
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जैसे थूहर पर | जैसे थूहर पर | ||
उगती है बरू की घास | उगती है बरू की घास | ||
बरसात के | बरसात के शुरुआती दिनों म़े | ||
या उस मर्द के हाथों में | या उस मर्द के हाथों में | ||
छाले की तरह उग कर | छाले की तरह उग कर | ||
चला आया था वहां | चला आया था वहां | ||
पर वह मकान आया | पर वह मकान आया ज़रूर | ||
ठीक उस जगह | ठीक उस जगह | ||
घर बनने के लिए | घर बनने के लिए | ||
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बीच में आग के लिए स्थान | बीच में आग के लिए स्थान | ||
रखता हुआ | रखता हुआ | ||
पता | पता नहीं कैसी गंध थी | ||
उस मिट्टी में | उस मिट्टी में | ||
कि उसे आकार लेना था | कि उसे आकार लेना था |
10:44, 2 जनवरी 2018 के समय का अवतरण
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