"सपूत और कपूत -शिवदीन राम जोशी": अवतरणों में अंतर
कैलाश पारीक (वार्ता | योगदान) ('{{पुनरीक्षण}}<!-- कृपया इस साँचे को हटाएँ नहीं (डिलीट न क...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - "जरूर" to "ज़रूर") |
||
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 9 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{ | {{Poemopen}} | ||
<poem> | |||
पूत सपूत जने जननी, पितु मात की बात को शीश चढावे। | |||
कुल की मरियाद रखे उर में, दिन रैन सदा प्रभु का गुन गावे। | |||
पूत सपूत जने जननी,पितु | सत संगत सार गहे गुन को, फल चार धरा पर सहज ही पावे। | ||
कुल की मरियाद रखे उर में,दिन रैन सदा प्रभु का गुन गावे। | शिवदीन प्रवीन धनाढ्य वही, सुत धन्य है धन्य जो लाल कहावे। | ||
सत संगत सार गहे गुन को,फल चार धरा पर सहज ही पावे। | ---- | ||
शिवदीन प्रवीन धनाढ्य वही,सुत धन्य है धन्य जो लाल कहावे। | |||
पूत सपूत निहाल करे, पर हेतु करे नित्त और भलाई। | पूत सपूत निहाल करे, पर हेतु करे नित्त और भलाई। | ||
मात पिता खुश हाल रहें,सबको खुश राखत वो सुखदाई। | मात पिता खुश हाल रहें, सबको खुश राखत वो सुखदाई। | ||
सत संगत सार गहे गुन-ज्ञान,गुमान करे न करे वो बुराई। | सत संगत सार गहे गुन-ज्ञान, गुमान करे न करे वो बुराई। | ||
शिवदीन मिले मुसकाता हुआ,सुत सत्य वही जन सज्जन भाई। | शिवदीन मिले मुसकाता हुआ, सुत सत्य वही जन सज्जन भाई। | ||
---- | |||
पूत सपूत जने जननी, | पूत सपूत जने जननी, | ||
अहो भक्त जने जग होय भलाई। | अहो भक्त जने जग होय भलाई। | ||
पंक्ति 21: | पंक्ति 19: | ||
मानो तो बात सही है सही, | मानो तो बात सही है सही, | ||
शिवदीन कपूत तो है दु:खदाई। | शिवदीन कपूत तो है दु:खदाई। | ||
---- | |||
जननी का जोबन हरन, करन अनेक कुचाल, | जननी का जोबन हरन, करन अनेक कुचाल, | ||
जनमें पूत कपूत धृक, दु:ख उपजत हर हाल। | जनमें पूत कपूत धृक, दु:ख उपजत हर हाल। | ||
पंक्ति 27: | पंक्ति 25: | ||
भ्रात बहन का नहीं, नहीं वह मात तात का। | भ्रात बहन का नहीं, नहीं वह मात तात का। | ||
शिवदीन धन्य जननी जने, जन्में ना कोई उत, | शिवदीन धन्य जननी जने, जन्में ना कोई उत, | ||
क्या | क्या ज़रूरत दो चार की, एक ही भला सपूत। | ||
राम गुन गायरे।। | राम गुन गायरे।। | ||
---- | |||
काहूँ के न जनमें उतडा कपूत पूत, | काहूँ के न जनमें उतडा कपूत पूत, | ||
मूर्ख मतिमंदन को सुसंगत ना सुहाती है। | मूर्ख मतिमंदन को सुसंगत ना सुहाती है। | ||
कुसंगत में बैठ-बैठ हंसते है हराम लूंड, | कुसंगत में बैठ-बैठ हंसते है हराम लूंड, | ||
माता पिता बांचे क्या कर्मन की पाती है। | माता पिता बांचे क्या कर्मन की पाती है। | ||
पूर्व जन्म संस्कार बिगडायल होने से, | पूर्व जन्म संस्कार बिगडायल होने से, | ||
बेटा बन काढे बैर जारत नित छाती है। | बेटा बन काढे बैर जारत नित छाती है। | ||
कहता शिवदीन राम राम-नाम सत्य सदा, | कहता शिवदीन राम राम-नाम सत्य सदा, | ||
संतन की कृपा से जीव बिगरी बन जाती है। | संतन की कृपा से जीव बिगरी बन जाती है। | ||
------ | |||
बहुत से कपूत पूत भूत सा भयंकर रूप, | |||
मूर्खता घनेरी घोर भांडा है प्रलाप का। | |||
कपूतन का दु:ख नाम सुख का कहां है काम, | |||
राम ही बचावे ये तो मारग संताप का। | |||
आशीर्वाद लेवे नहीं लेके कछु देवे नहीं, | |||
धर्म कर्म रहित दुष्ट पेट भरे आपका। | |||
कहता शिवदीन राम ऐसे निकाम पूत, | |||
गुरु का न गोविन्द का माँ का न बाप का। | |||
</poem> | |||
{{Poemclose}} | |||
{| width="100%" | |||
|- | |||
| | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{समकालीन कवि}} | |||
[[Category: | [[Category:कविता]][[Category:हिन्दी कविता]][[Category:काव्य कोश]][[Category:पद्य साहित्य]][[Category:साहित्य कोश]] | ||
[[Category:समकालीन साहित्य]] | |||
[[Category:शिवदीन राम जोशी]] | |||
|} | |||
__NOTOC__ | |||
__NOEDITSECTION__ | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
10:47, 2 जनवरी 2018 के समय का अवतरण
पूत सपूत जने जननी, पितु मात की बात को शीश चढावे। पूत सपूत निहाल करे, पर हेतु करे नित्त और भलाई। पूत सपूत जने जननी, जननी का जोबन हरन, करन अनेक कुचाल, काहूँ के न जनमें उतडा कपूत पूत, बहुत से कपूत पूत भूत सा भयंकर रूप, |
संबंधित लेख |