"सपूत और कपूत -शिवदीन राम जोशी": अवतरणों में अंतर
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भ्रात बहन का नहीं, नहीं वह मात तात का। | भ्रात बहन का नहीं, नहीं वह मात तात का। | ||
शिवदीन धन्य जननी जने, जन्में ना कोई उत, | शिवदीन धन्य जननी जने, जन्में ना कोई उत, | ||
क्या | क्या ज़रूरत दो चार की, एक ही भला सपूत। | ||
राम गुन गायरे।। | राम गुन गायरे।। | ||
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10:47, 2 जनवरी 2018 के समय का अवतरण
पूत सपूत जने जननी, पितु मात की बात को शीश चढावे। पूत सपूत निहाल करे, पर हेतु करे नित्त और भलाई। पूत सपूत जने जननी, जननी का जोबन हरन, करन अनेक कुचाल, काहूँ के न जनमें उतडा कपूत पूत, बहुत से कपूत पूत भूत सा भयंकर रूप, |
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